रामपुरा के संत ने बनाया मंदिर
मंदिर की स्थापना विक्रम संवत 1621 में हुई थी। रामपुरा से पधारे संत बनवारीदास महाराज ने मंदिर में अराध्य देव भगवान राम को पत्नी सीता सहित प्रतिष्ठित किया था। उनकी खूब सेवा भी की। उनके बाद महंत गोपीदास, चैनदास, गोरधनदास, दयाराम दास, हरिदास, सहजदास, मनसादास, रामदास, तुलसीदास, रघुनाथदास, गोमतीदास, व सुंदरदास महाराज ने भगवान की पूजा की। 1995 में सुंदरदास महाराज के देह त्याग के बाद उनके शिष्य महंत सेडूदास महाराज तेरहवीं पीढ़ी के रूप में भगवान का सेवा लाभ ले रहे हैं।
नए घर में विराजे भगवान
459 साल पुराने मंदिर के जीर्णशीर्ण होने पर भगवान राम व सीता को नए मंदिर में विराजित कर दिया गया है। पिछले साल ही जन सहयोग से यहां नया मंदिर बनवाया गया था। जहां मई महीने में अष्टधातु की मूर्तियों को विराजित किया गया।
उत्सवों पर होते हैं आयोजन, 22 को महोत्सव
मंदिर में अन्नकूट, गोवर्धन, गुरु पूर्णिमा, दीपावली, शरद पूर्णिमा, राम नवमी व दशहरे सहित विभिन्न उत्सवों पर महोत्सव व भंडारे का आयोजन होता है। गांव के मदनसिंह शेखावत, नेमीचंद, भवानी शंकर, ओमदत्त, कमल किशोर, कैलाश यादव, सतीश शर्मा, प्रहलाद व राकेश ने बताया कि जात- जड़ूलों के अलावा मनौती पूरी होने पर श्रद्धालु यहां सवामणी प्रसाद भी करते हैं। 108 कुंडीय श्रीराम महायज्ञ सहित कई बड़े आयोजन भी हो चुके हैं। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर 22 जनवरी को भी यहां शोभायात्रा व भजन-कीर्तन सहित विशेष पूजा- अर्चना होगी।