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सीकर

तिरंगे के साथ फिजा में गूंजा या हुसैन

मोहर्रम पर मातमी धुनों के बीच निकले 13 ताजिये
सिना की नोक पर चढकऱ हुसैन बोलते हैं,जमीन चुप है फलक पर हुसैन बोलते हैं,
सजी है बज्म-ए- रसूलां खिताब जारी है,बनाके नेजे को मिंबर हुसैन बोलते हैं….!

सीकरSep 10, 2019 / 11:19 pm

Puran

तिरंगे के साथ फिजा में गूंजा या हुसैन

तिरंगे के साथ फिजा में गूंजा या हुसैन

सीकर. पैगंबर ए इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत के दिन शहर में मातमी माहौल रहा। हर कोई इमाम हुसैन की याद में गमगीन रहा। विभिन्न मोहल्लों से शहीद के मकबरे की निशानी ताजिये निकाले गए। जिसमें इमाम हुसैन के दीवाने युद्ध की निशानी के रूप में हथियारों की कलाबाजिया दिखाते हुए शामिल हुए। शहर में इस दौरान 13 ताजिये निकाले गए। जो विभिन्न मार्गों से होते हुए करबला में सुपुर्द- ए- खाक किए गए। ताजिये के जुलूस में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। इस दौरान जाट बाजार से जुलूस की रवानगी से पहले शाबरीन व्यायामशाला की ओर से मानव पिरामिड बनाकर तिरंगा फहराकर देशभक्ति का जज्बा भी दिखाया गया।
दो जगहों से निकले ताजिये
ताजिये के सात जुलूस जाट बाजार से रवाना हुए। जो जाट बाजार के पूर्व दिशा के मोहल्लों से निकले। यह जुलूस तीन बजे से ही जाट बाजार पहुंचना शुरू हो गए। जो पांच बजे तक एक साथ इक_ा होने के बाद सुभाष चौक, नानी गेट और चांदपोल होते हुए करबला पहुंचे। वहीं, बजाज रोड उस पार के मोहल्लो से छह ताजिये निकाले गए। जो ईदगाह होते हुए करबला पहुंचे। ताजियों में मोहल्ला मस्तान शाह, मोहल्ला सुलतान शाह, कुरेशियान, मोहल्ला कारीगरान, मोहल्ला बिसायतीयान, मोहल्ला धोबियान व तेलियान का ताजिया, रोशन गंज, हुसैन गंज, व्यापारियान, पिनारान व मोहल्ला नारवान आदि के ताजिए शामिल रहे।
सामाजिक संगठनों ने की सेवा
ताजियों के जुलूस में शामिल लोगों का रास्ते में पूरा ख्याल रखा गया। विभिन्न व्यापारिक और सामाजिक संगठनों ने इसके लिए जगह जगह पानी व शरबत की व्यवस्था की। कई जगहों पर स्टाल व छबील लगाई गई।

पप्पु पहलवान ने बनाया नया रिकॉर्ड

ताजिये के जुलूस के दौरान शाबरीन व्यायाम शाला के पप्पू पहलवान ने नया कीर्तिमान बनाया। उन्होंने लगातार 32वें साल हैरतअंगेज कारनामे दिखाकर दर्शकों को अचंभित किया। अखाड़े के उस्ताद हाजी सिराजुद्दीन जहूर अहमद, जुल्फकार, शरीफ, सराफत बंगु, गुलाम सबीर खत्री और हफीज पंवार के साथ नंगी तलवार पर लेटकर सीने पर तीन पहलवानों को खड़ा करने और पत्थर तोडऩे के अलावा तलवार बाजी, सरिया मोडऩा और लट्टू का चक्कर घुमाकर सबको अचरज में डाल दिया।
ताजिये के नीचे से निकलने की मची होड़
परंपरा के मुताबिक ताजिये के जुलूस के नीचे से निकलने की भी लोगों में होड मची रही। बच्चों से लेकर बड़े तक बार बार ताजिये के नीचे से निकलते और दुआ मांगते नजर आए। ताजिये के आस पास लोगों को भारी जमावड़ा लगा रहा।

महिलाओं का उमड़ा हुजूम

ताजिये का जुलूस देखने के लिए शहर के लोगों में खासा उत्साह भी रहा। जहां से भी ताजिये गुजरे वहीं लोग घरों की दहलीज से लेकर छतों पर खड़े नजर आए। ताजिये देखने में बच्चों के साथ मुस्लिम महिलाओं का भी हुजूम उमड़ा रहा।
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