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सीकर

राजस्थान में यहां मिला सातवीं शताब्दी का अद्र्धनारीश्वर का विशाल मंदिर

जिले के खंडेला कस्बे में स्थित चारोड़ाधाम के रसोड़ा तालाब में खुदाई में मिली मूर्तियां छठी शताब्दी की है। पुरातत्ववेत्ताओं व इतिहासकारों के अनुसार 1379 साल पहले विक्रम संवत 701 में खंडेला में अद्र्धनारीश्वर का मंदिर निर्मित हुआ था।

सीकरFeb 01, 2023 / 07:24 pm

Narendra

राजस्थान में यहां मिला सातवीं शताब्दी का अद्र्धनारीश्वर का विशाल मंदिर

राजस्थान में यहां मिला सातवीं शताब्दी का अद्र्धनारीश्वर का विशाल मंदिर

जिले के खंडेला कस्बे में स्थित चारोड़ाधाम के रसोड़ा तालाब में खुदाई में मिली मूर्तियां छठी शताब्दी की है। पुरातत्ववेत्ताओं व इतिहासकारों के अनुसार 1379 साल पहले विक्रम संवत 701 में खंडेला में अद्र्धनारीश्वर का मंदिर निर्मित हुआ था। प्रतिहार कालीन इस विशाल मंदिर में अलग- अलग मंदिरों के समूह बने थे। इनमें गणेश, शिव- पार्वती, स्कन्द व विष्णु भगवान की मूर्तियां प्रमुखता से प्र्रतिष्ठित की गई थी। विक्रम संवत 1199 यानी सन 1142 में पठानों ने आक्रमण कर उस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। जिसकी वजह से ही मंदिर की मूर्तियां खंडित हो गई थी। वही, मूर्तियां अब जोहड़ में मिली है। पुरातत्ववेत्ता गणेश बेरवाल ने बताया कि शिलालेख के अनुसार मंदिर को आदित्य नाग ने बनवाया था। मंदिर की बनावट ओसिया के मंदिर से मिलती- जुलती है।
498 साल रहा मंदिर का अस्तित्व
बेरवाल ने बताया कि रसोड़ा जोहड़ से मिले शिलालेख में मंदिर निर्माण का समय विक्रम संवत 701 व मंदिर पर आक्रमण का काल विक्रम संवत 1199 में भाद्रपति दूज लिखा मिला है। यानी ये मंदिर 498 साल अस्तित्व में रहा। शिलालेख संस्कृत भाषा की प्राचीन लिपि में लिखे गए हैं।
कई पुस्तकों में जिक्र
खंडेला में अद्र्ध नारीश्वर मंदिर का जिक्र पहले भी कई इतिहासकार व पुरातत्ववेता कर चुके हैं। गोरीशंकर ओझा, सुरजन सिंह, रतन लाल मिश्रा व दशरथ शर्मा ने अपनी पुस्तकों में इस मंदिर समूह का जिक्र किया था। सकराय के शिलालेखों में भी खंडेला के मंदिर समूहों के बारे में जानकारी मिलती है।
खंडित होने पर जोहड़ में विसर्जन
बेरवाल के अनुसार खंडित मूर्तियों की जल समाधि या विसर्जन की हिंदू परंपरा प्राचीन समय से रही है। संभवत: आक्रमण का शिकार होने पर खंडित हुई मूर्तियों को उस समय पानी से भरे जोहड़ों में विसर्जित किया गया था। यही वजह है कि मूर्तियां जोहड़ से मिली है। अनुमान है कि मंदिर जोहड़ के आसपास ही कहीं रहा होगा। पूर्व इतिहासकार व पुरातत्ववेता भी अपनी पुस्तकों में इस अद्र्धनारीश्वर मंदिर का जिक्र कर चुके हैं।
विष्णु सहित 28 मूर्तियां व शिलालेख मिले
जोहड़ में अब तक मंदिर से जुड़े 28 अवशेष मिल चुके हैं। इनमें विष्णु के अलावा भगवान शिव की मूर्ति भी शामिल है। खुदाई में अन्य कई मूर्तियां व शिलालेख भी मिले हैं।
1678 में औरंगजेब ने भी तोड़े मंदिर
खंडेला के मंदिरों पर 1678 में मुगल शासक औरंगजेब ने भी आक्रमण किया था। इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार हमले की सूचना पर खंडेला राजा बहादुर सिंह के साथ छापोली नरेश सुजान सिंह सहित कई राजपूत राजा साथ हुए। जिनकी बहादुरी देख औरंगजेब के सेनापति दराब खां ने प्रस्ताव दिया कि वह मंदिरों के कलशों को हटाने दें तो युद्ध रुक सकता है। पर राजपूत नरेशों के इन्कार करने पर दोनों पक्षों में भयानक युद्ध हुआ। जिसमें जीते दराब खां ने यहां के मंदिरों को ध्वस्त किया था। पंडित झाबरमल शर्मा की पुस्तक सीकर का इतिहास के अनुसार ये युद्ध चैत्र महीने में विक्रम संवत 1735 यानी 1678 में हुआ था।
पुरा विशेषज्ञ एक मत
रसोड़ा तालाब में मिली मूर्तियों के परीक्षण के लिए पुरातत्व विभाग की टीम ने भी मौका मुआयना किया। टीम में पुरातत्व खनन विभाग के अधीक्षक विपिन गोजल, मुद्रा शास्त्र अधीक्षक प्रिंस उत्पल, इतिहासकार एमएल मीणा, पुरातत्व विशेषज्ञ गणेश बेरवाल शामिल रहे। मूर्ति व मंदिर निर्माण व विध्वंस की तिथि को लेकर सभी एकमत हैं।

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