अगल- अलग दलों को मौका
फतेहपुर में यूं तो जीत का सबसे ज्यादा स्वाद कांग्रेस ने छह बार चखा है लेकिन समय- समय पर मतदाताओं ने कांग्रेस को भी हार का कड़वा घूंट पिलाया है। अन्य दलों में एक- एक बार स्वतंत्र पार्टी, जनता दल, जनता पार्टी, कांग्रेस (ओर्गेनाइजेशन), भाजपा और माकपा के अलावा जनता दो बार निर्दलीयों को भी विधानसभा पहुंचा चुकी है।
जमानत जब्ती के साथ पहला ताज
झुंझुनूं संसदीय क्षेत्र में शामिल फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव शुरूवात से ही रोचक रहे हैं। 1957 के पहले चुनाव में ही विजेता रहे कांग्रेस उम्मीदवार अब्दुल गफ्फार खां यहां जमानत जब्त होने पर भी विधायक बने थे। उन्हें महज 17.76 फीसदी मत प्राप्त हुए हुए थे। पर 11 प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा मत होने पर उन्हें विजेता घोषित किया गया था।
माकपा का खाता खोलने वाली सीट
फतेहपुर सीट की पहचान शेखावाटी में माकपा को पहली व एतिहासिक जीत दिलाने के रूप में भी है। 1980 में माकपा नेता त्रिलोक सिंह ने यहां पहली जीत दर्ज की थी। जिसमें उनके सामने चुनाव लडऩे वाले सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
भाजपा का एक बार खुला खाता
सबसे बड़ी पार्टी का दंभ भरने वाली भाजपा भी यहां एक बार चुनाव जीतने में सफल हो सकी है। बनवारीलाल भिंडा ने 1993 में यहां भाजपा का खाता खोला था। 30 साल से पार्टी यहां दूसरी जीत की तलाश में है।
इस बार भी रोचक मुकाबला
फतेहपुर में इस बार चुनाव रोचक मुकाबले में फंस गया हैं। मौजूदा विधायक व कांग्रेस प्रत्याशी हाकम अली के सामने यहां भाजपा ने सीएलसी निदेशक श्रवण चौधरी को मैदान में उतारा है। वहीं, पूर्व विधायक नंदकिशोर महरिया के जेजेपी और भाजपा से बागी पूर्व पालिकाध्यक्ष मधुसूदन भिंडा के निर्दलीय ताल ठोकने से यहां चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है।
अब तक ये बने विधायक
1957 अब्दुल गफ्फार खां कांग्रेस
1962 बालूराम निर्दलीय
1967 आलम अली स्वतंत्र पार्टी
1972 झाबरमल कांग्रेस (ओ)
1977 आलम अली जनता पार्टी
1980 त्रिलोक सिंह माकपा
1985 अश्कअली टांक कांग्रेस
1990 दिलसुख राय जनता दल
1993 बनवारी लाल भाजपा
1998 भंवरू खां कांग्रेस
2003 भंवरू खां कांग्रेस
2008 भंवरू खां कांग्रेस
2013 नन्दकिशोर महरिया निर्दलीय
2018 हाकम अली कांग्रेस