ये है मामला
आरटीई के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक दृष्टि से कमजोर व अक्षम बच्चों का निशुल्क प्रवेश होता है। प्रवेश के बदले राज्य सरकार निजी स्कूलों को प्रति बच्चे के हिसाब से पुनर्भरण राशि जारी करती है। इस बार आरटीई में प्रवेशित करीब 11 हजार से ज्यादा बच्चों का प्रवेश सरकारी स्कूलों में होना सामने आया तो शिक्षा विभाग ने उसका सत्यापन करवाया। जिसमें करीब पांच हजार बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों में मिला। जिनकी रिपोर्ट भी जिला शिक्षा विभागों ने दिसंबर व जनवरी महीने में ही शिक्षा निदेशालय भेज दी। लेकिन अब तक उनकी पुनर्भरण राशि जारी नहीं होने से उनकी निशुल्क पढ़ाई पर संकट गहरा गया है।इन वजहों से हुई थी प्रवेश में गड़बड़ी
- नामांकन बढ़ाने के फेर में सरकारी स्कूलों द्वारा आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों का प्रवेश करना।
- पोषाहार व अन्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए अभिभावकों द्वारा आरटीई में पढ़ रहे बच्चों का प्रवेश सरकारी स्कूल में कराना।
- पुनर्भरण राशि के फेर में निजी स्कूलों द्वारा सरकारी स्कूल के बच्चों को प्रवेश देना।
गलत के साथ सही भी भुगत रहे सजा
सरकारी स्कूलों में प्रवेश मिलने पर इस साल सीकर जिले में प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के 331 बच्चों की पुनर्भरण राशि रोकी गई थी। इनमें से सत्यापन के बाद 210 बच्चों का तो सरकारी व अन्य जगहों पर प्रवेश मिला, लेकिन 121 बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों में ही मिला। लेकिन सही प्रवेश होने पर भी इनकी पुनर्भरण राशि अब तक अटकी हुई है। ऐसे में नियम विरुद्ध प्रवेशित बच्चों की सजा सही प्रवेशित विद्यार्थियों को भी भुगतनी पड़ रही है।इसलिए भी बढ़ी गफलत
बच्चों की पुनर्भरण राशि की गफलत इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि शिक्षा विभाग ने सत्यापन के बाद किस बच्चे की रिपोर्ट सकारात्मक या नकारात्मक भेजी है इसकी जानकारी स्कूलों व अभिभावकों दोनों को नहीं है। इसलिए भी स्कूल संचालकों व अभिभावकों में इन बच्चों की फीस को लेकर असमंजस बना हुआ है।घीसाराम भूरिया, एडीईओ (जिला प्रारंभिक शिक्षा विभाग, सीकर)