उन्होंने राजस्थान पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि पांच साल में सबसे ज्यादा खुशी जिला प्रमुख बनने के दिन हुई। वह पिछले एक सप्ताह से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के नोट्स व पुस्तक जुटाने में लगी है। उनका कहना है कि अब पहला लक्ष्य आरएएस की तैयारी और दूसरा लक्ष्य यहां की जनता की परेशानियों को दूर करवाने के लिए संघर्ष करने की।
कमीशन देने भी आए लेकिन नहीं लिया
रोलन ने पत्रिका से पांच साल के अनुभव भी साझा किए। उन्होंने कहा कि पांच साल में कई लोग अपने कार्यो को लेकर कमीशन लेकर भी पहुंचे। लेकिन मैने साफ कह दिया कि मुझे कुछ नहीं चाहिए, आप गांवों में विकास करिए। भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी को रोकने की पूरी कोशिश की। कार्यकाल के दौरान कई बार मुश्किल क्षण भी आए लेकिन सबके साथ से पार पा लिया।
पहले दिन पूरी रात सो नहीं सकी
वार्ड संख्या 33 से जिला परिषद सदस्य का चुनाव लडा। परिणाम आते ही भाजपा ने जिला प्रमुख का चेहरा घोषित कर दिया। इस रात पूरी रात नींद नहीं आई। अगले दिन परिणाम आया तो आंखों से खुशी के आंसू निकल आए।
पार्टी कहेगी तो फिर चुनावी मैदान में
राजनीति से जुड़ाव के सवाल पर कहा कि जिला प्रमुख का कार्यकाल पूरा हो गया है। इसका मतलब यह नहीं कि लोगों से नाता टूट जाएगा। यदि पार्टी कहेगी तो फिर से पंचायतीराज का चुनाव लडूंगी। इसके अलावा गांव के लोगों के दुख-दर्द जानने के लिए पढ़ाई के बीच में समय निकालूंगी।
सीकर को दिलाए दो अवार्ड
रोलन ने बताया कि सीकर को पांच साल में दो अवार्ड दिलाना सभी के लिए गर्व की बात रही। बेटी बचाओ, बेटी पढाओ के तहत सीकर जिले ने काफी नवाचार किए। इसके लिए खुद पीएम ने सीकर जिले को सम्मानित किया। पंचायतीराज विभाग की रैकिंग में टॉप आने पर जयपुर में हुए कार्यक्रम में सीकर जिला परिषद को 25 लाख रुपए का पुरसकार दिलाया। उन्होंने बताया कि विभिन्न नवाचारों के सहारे सीकर नगर परिषद की आय में भी काफी इजाफा हुआ है।