केन्द्र की ओर से जारी कोचिंग संस्थान गाइडलाइन से विद्यार्थियों की स्कूलिंग मज़बूत होगी। वहीं सह शैक्षणिक गतिविधियों एवं खेलकूद में शामिल होने से स्टूडेंट्स का ओवरऑल पर्सनालिटी डेवलपमेंट का मौका भी मिलेगा। लेकिन गंभीर विषय यह है कि केवल स्कूल लेवल की तैयारी से 12वीं के बाद पुराने समय की तरह 1-2 साल की एक्स्ट्रा तैयारी की ज़रूरत पड़ने लग जाएगी जो कि समय एवं धन दोनों का नुक़सान है। इन सबका एक आसान एवं बेहतर समाधान है कि बच्चों को स्कूल में ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जानी चाहिए।
डा. पीयूष सुंडा, चेयरमैन, प्रिंस एजुहब, सीकर कोचिंग कानून निश्चित तौर पर राहत देने वाला है। इससे विद्यार्थियों की स्कूलिंग और मजबूत होगी। नए कानून में जो प्रावधान किए है उनकी पहले से यहां पालना हो रही है। विद्यार्थियों को मानसिक सम्बलन देने की पहल की शुरूआत यहां से हुई। इसके सकारात्मक परिणाम लगातार सामने आ रहे है।
साहिल चौधरी, सीईओ, सीएलसी
शिक्षानगरी की संस्थाएं कोचिंग और स्कूल के मामले में एक मिसाल है। यहां की संस्थाओं ने विद्यार्थियों को तनाव से राहत देने के लिए सबसे पहले सह शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देना शुरू किया। नए कानून से इस सेक्टर में कई अन्य बदलाव भी सामने आएंगे।
कपिल ढाका, निदेशक, मैट्रिक्स