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सात साल के बेटे राम ने दी शहीद रतनलाल को मुखाग्नि, अंतिम यात्रा में हजारों लोग हुए शामिल

दिल्ली हिंसा में वीर गति पाने वाले सीकर के जवान रतनलाल का अंतिम संस्कार पैतृक गांव तिहावली स्थित अंत्येष्टि स्थल पर हुआ।

सीकरFeb 26, 2020 / 03:35 pm

Sachin

सात साल के बेटे राम ने दी शहीद रतनलाल को मुखाग्नि,  अंतिम यात्रा में हजारों लोग हुए शामिल

सात साल के बेटे राम ने दी शहीद रतनलाल को मुखाग्नि, अंतिम यात्रा में हजारों लोग हुए शामिल

सीकर. दिल्ली हिंसा में वीर गति पाने वाले सीकर के जवान रतनलाल का अंतिम संस्कार पैतृक गांव तिहावली स्थित अंत्येष्टि स्थल पर हुआ। शहीद को सात वर्षीय बेटे राम ने मुखाग्नि दी। शहीद रतनलाल की अंतिम यात्रा में तिहावली के अलावा डाबली, सिदनसर, फतेहपुर सहित आसपास के कई गांवों व झुंझुनूं तक के हजारों लोग शामिल हुए। जो पूरी यात्रा में शहीद रतनलाल अमर रहे, वंदेमातरम व भारत माता के गगनभेदी जयकारे लगातार लगाते रहे। अंत्येष्टि स्थल पर गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुए अंतिम संस्कार से पहले शहीद रतनलाल की पार्थिव देह की अंतिम यात्रा घर से निकली तो पत्नी पूनम व मां संतरा देवी सहित परिजनों को रो- रो कर बुरा हाल था। उन्हें देखकर हर किसी की आंख वहां नम हो गई। इस दौरान झुंझुनूं सांसद नरेन्द्र खीचड़, सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती, फतेहपुर विधायक हाकम अली, पूर्व विधायक नंदकिशोर महरिया सहित कई जनप्रतिनिधी, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।

शहीद का दर्जा मिलने पर लिया शव
इससे पहले जवान को शहीद का दर्जा नहीं मिलने पर ग्रामीणों ने सुबह जवान का पार्थिव देह लेने से इन्कार कर दिया था। ग्रामीण नेशनल हाईवे रोककर धरना देकर बैठ गए थे। करीब छह घंटे प्रदर्शन व जाम के बाद सीकर सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी से बात की। जहां से जवान रतनलाल को शहीद का दर्जा दिलाने व एक करोड़ के मुआवजे की घोषणा के बाद ग्रामीणों ने शहीद का शव लिया।

हिंसा में हुए थे शहीद
दिल्ली के गोकुलपुरी में सोमवार को सीएए के मुद्दे पर पक्ष विपक्ष में आए लोगों के बीच हिंसा हो गई थी। जिसमें पुलिस हेडकांस्टेबल रतन लाल बीच बचाव के लिए गए थे। इसी दौरान वह हिंसा का शिकार हो गए। घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहां जवान ने दम तोड़ दिया था। मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद शव दिल्ली में परिजनों को दिया गया। जहां से आज सुबह शव गांव तिहावली पहुंचा तो ग्रामीणों ने रास्ते में ही उसे रोक जवान को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग के साथ धरना शुरू कर दिया।

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