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सरकार से वार्ता के लिए सीकर के किसान जयपुर रवाना, इन 11 पर जताया है हजारों किसानों ने भरोसा

12 दिन के महापड़ाव व दो दिन के चक्का जाम अब किसानों की सरकार से वार्ता होने ही है। इसके लिए मंगलवार शाम को किसान जयपुर के रवाना हो गए हैं।

सीकरSep 12, 2017 / 04:53 pm

vishwanath saini

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सीकर. 12 दिन के महापड़ाव व दो दिन के चक्का जाम अब किसानों की सरकार से वार्ता होने ही है। इसके लिए मंगलवार शाम को किसान जयपुर के रवाना हो गए हैं। वार्ता करने वाले किसानों के प्रतिनिधिमंडल में 11 सदस्य शामिल हैं।

किसानों के महापड़ाव व चक्काजाम से घबराई सरकार किसानों को लगातार वार्ता के प्रस्ताव भिजवा रही थी। रविवार को वार्ता का स्थान व समय नहीं बताने की नाराजगी को सोमवार सुबह ही जिला प्रशासन ने दूर कर दिया। जिला कलक्टर नरेश कुमार ठकराल ने सोमवार सुबह दुबारा राज्य सरकार की ओर से वार्ता का न्यौता दिया। इसमें बताया कि सोमवार शाम पांच बजे कृषि भवन में वार्ता होगी।

इस प्रस्ताव को किसान नेताओं ने स्वीकार करते हुए प्रतिनिधिमंडल के लिए 11 सदस्यों के नाम भी भिजवा दिए। लेकिन बाद में किसान नेताओं का तर्क था कि प्रतिनिधिमंडल के साथी दूसरे जिलों से भी आएंगे। सोमवार शाम पांच बजे तक वार्ता के लिए जयपुर पहुंचना संभव नहीं है। ऐसे में वार्ता के लिए मंगलवार शाम का वक्त हुआ है। अपराह्न को यहां से किसानों का प्रतिनिधिमंडल जयपुर के लिए रवाना हो गया।

मंत्री होंगे शामिल


कलक्टर नरेश कुमार ठकराल ने बताया कि वार्ता में मंत्री समूह से कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक, जल संसाधन मंत्री डॉ रामप्रताप, उर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह राणावत वार्ता करेंगे।
ये करेंगे बातचीत


अखिल भारतीय किसान ने जिला कलक्टर को भेजे पत्र में ग्यारह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के नाम दिए हैं। इसमें पूर्व विधायक अमराराम, पेमाराम, मंगल ंिसंह, हरफूल सिंह, सागर खाचरिया (सीकर), विद्याधर सिंह गिल (झुंझनूं), छगन चौधरी (चूरू), लालचन्द भादू (बीकानेर), गुरुचरण मूण्ड (गंगानगर), रामजीलाल यादव (जयपुर), नारायणलाल डूडी (नागौर) शामिल हैं।
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प्रशासन पर उठे ये 09 सवाल

किसानों के चक्का जाम को लेकर प्रशासन ने भले ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर रखे हो, मगर ये 9 सवाल ऐसे रहे जिनका प्रशासन से हर कोई जवाब चाहता है।

01 जिलेभर में 20 करोड़ से अधिक का व्यापार प्रभावित हुआ। इसमें पेट्रोल पंप, बाजार, रोडवेज, बैंकों के लेनदने, डेयरी सहित अन्य कार्यालय शामिल है।
02 किसानों के कलक्टे्रट कूच को रोककर अधिकारी अपनी पीठ थपथपाते रहे। मंडी से पहले किसानों के रोकने से आमजन की मुसीबत ज्यादा बढ़ी। शहर के सभी रास्ते बंद हो गए। वहीं मंडी के पास भी रोकने के बाद कलक्ट्रेट ठप रहा।
03 शहर में विभिन्न स्थानों पर लगा जाब्ता पानी को तरसता रहा, लेकिन दोपहर बाद ही हुए इंतजाम।
04 मंडी के पास लगे जाब्ते के लिए रोशनी की भी कोई व्यवस्था नहीं।
05 धारा 144 लागू होने के बाद भी इसकी मजिस्ट्रेट कही भी पालना नहीं करा सके।
06 शहर में जगह-जगह बैरिकेटिंग कर लोगों के आवागमन को बंद कर दिया। परीक्षार्थियों को जाने के लिए जेब ढ़ीली कराने पड़ी। कई परीक्षा से वंचित रह गए, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं।
07 चक्काजाम में फंसे यात्रियों की सुरक्षा व खान-पान के कोई इंतजाम नहीं। लोग खुद अधिकारियों को फोन कर शिकायत दर्ज कराते रहे। कोई सुनने वाला नहीं।
08 उपचार के लिए तरसते मरीज, लेकिन नहीं पिछली सरकार।
09 चक्काजाम की घोषणा पहले से थी, प्रशासन ने वैकल्पिक कोई इंतजाम नहीं किया।

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