BREAKING : राजस्थान के कोतवाल-कांस्टेबल हत्याकांड में 5 आरोपितों को ATS ने मुम्बई-पुणे से दबोचा
फतेहपुर कोतवाल-कांस्टेबल हत्याकांड के आरोपितों क पकड़े जाने के साथ ही सीकर पुलिस के बारे में भी शर्मनाक खुलासा हुआ है। खुलासा यह कि फतेहपुर कोतवाल व कांस्टेबल की जान बदमाशों की गोली ने ली, लेकिन इसकी एक वजह पुलिस महकमे के ही गद्दार भी हैं।
पुलिस अपने ही महकमे के इन गद्दारों का भी पता लगाने में जुट गई है। सीकर पुलिस उन गद्दारों तक पहुंचने के लिए गोपनीय जांच करवा रही है। ताकि इनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जा सके। हालांकि घटना के बाद नाकाबंदी में लापरवाही बरतने वाले पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा मामले की गंभीरता को स्पष्ट भी कर दिया गया है।
सीकर पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फतेहपुर कोतवाल व कांस्टेबल की हत्या से पहले अजय चौधरी व इनके साथियों की सूचना पुलिस के पास पिछले डेढ़ दो महीनों से बराबर आ रही थी। लेकिन पुलिस इन तक पहुंचती इससे पहले ही इनको भनक लगने से ये लोग मौके से पार हो जाते थे।
शुरूआती पड़ताल में सामने आया है कि विभाग से जुड़े कुछ लोग हैं। जिनके संपर्क होने पर इनकी धरपकड़ से पहले ही सूचना लीक हो जाती थी। अन्यथा संभव नहीं था कि वांछित अपराधी क्षेत्र में घूम रहे हैं और पुलिस इन तक पहुंच नहीं पा रही थी।
पुलिस में घुसपैठ होने का ही नतीजा था कि दोनों पुलिसवालों पर गोली चलाने के बाद भी अजय चौधरी बेखौफ घूमता रहा। इसकी पुष्टि नायकान मोहल्ले के मुख्तियार ने भी रिपोर्ट देकर पुलिस के सामने की थी। जिसमें बताया गया था कि अजय चौधरी अपने साथी दिनेश उर्फ लारा और कैलाश नागौरी के साथ उसके घर तक पहुंचा था।
यहां भी फायरिंग करने के बाद वे लोग पार हो गए थे। इधर खुद पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन शर्मा इशारा कर चुके हैं कि घटना के दो-तीन बाद एक बारगी पुलिस की टीम अपराधियों के नजदीक पहुंच चुकी थी। लेकिन सुराग लगने पर अपराधी मौका स्थल पर मौजूद नहीं मिले।
कांस्टेबलों की भूमिका संदिग्ध
सदर थाने सहित आस-पास के पुलिस थानों में लगे कुछ कांस्टेबल हैं। जिनकी भूमिका पुलिस संदिग्ध मान कर चल रही है। इनकी संख्या तीन से चार के बीच बताई जा रही है। संभावना है कि इनके मोबाइलों की कॉल डिटेल भी निकलवाई जा सकती है। ताकि तस्दीक के बाद इनके नाम उजागर किए जा सके।
स्थानीय पुलिस का नहीं लिया साथ
छह अक्टूबर को अजय चौधरी के क्षेत्र में होने की सूचना पर कोतवाल मुकेश कानूनगो भी कोतवाली का जाब्ता लेकर ही अपराधी के पीछे गए थे। उन्होंने भी वांछित अपराधियों को पकडऩे के लिए स्थानीय सदर थाना पुलिस का सहयोग लेना अपेक्षित नहीं समझा था। कांस्टेबल सांवरमल के तहत आमना-सामना होने पर अजय चौधरी व उसके साथी जगदीप उर्फ धनकड़ द्वारा भी उनका पीछा बार-बार नहीं करने की चेतावनी दी गई थी।