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मिट्टी बनी कैंसर का एक बड़ा कारण ! रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, पढ़ें पूरी खबर

कीटनाशक और उर्वरकों ( Pesticides and Fertilizers ) के अंधाधुंध इस्तेमाल से शेखावाटी भी कैंसर ( Cancer Patients In Shekhawati ) की जद में आ गई है। कीटनाशक वाले खाद्यान्न के अलावा भूमिगत पानी में नाइट्रेट और क्लोराइड ( Nitrate and chloride ) की मात्रा तय मानकों से ज्यादा होने से कैंसर के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं।

सीकरDec 07, 2019 / 01:38 pm

Naveen

मिट्टी बनी कैंसर का एक बड़ा कारण ! रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, पढ़ें पूरी खबर

मिट्टी बनी कैंसर का एक बड़ा कारण ! रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, पढ़ें पूरी खबर

पूरण सिंह शेखावत, सीकर.

कीटनाशक और उर्वरकों ( pesticides and fertilizers ) के अंधाधुंध इस्तेमाल से शेखावाटी भी कैंसर ( cancer Patients In Shekhawati ) की जद में आ गई है। कीटनाशक वाले खाद्यान्न के अलावा भूमिगत पानी में नाइट्रेट और क्लोराइड ( Nitrate and chloride ) की मात्रा तय मानकों से ज्यादा होने से कैंसर के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। जिला अस्पताल की कैंसर केयर यूनिट में रोजाना दो से तीन मरीज कीमोथैरेपी ( Chemotherapy ) के लिए आ रहे हैं। इनमें सीकर, चूरू, नागौर व झुंझुनूं जिले के रोगी शामिल हैं। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज प्रोग्राम के तहत प्रदेश में 2018 में कैंसर रोगियों की संख्या डेढ़ सौ फीसदी तक बढ़ी है। वहीं सीकर जिला अस्पताल की कैंसर केयर यूनिट में पिछले दो साल में कैंसर के मरीजों का आउटडोर 2959 तक पहुंच गया है। यहां 456 मरीज नियमित रूप से कैंसर की दवा और कीमोथैरेपी ले रहे हैं। कीटनाशकों के कारण पेट, फेफ ड़े और प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च के अनुसार खाद्य पदार्थों के माध्यम से शरीर में रोजाना 0.5 मिलीग्राम कीटनाशक जा रहा है। कीटनाशक शरीर के जिस हिस्से से गुजरता है उसको नुकसान पहुंचाता है। फेफ ड़े, किडनी, लीवर और गले पर असर डाल रहा है। अस्पताल में हर छह माह में कैंसर के रोगियों की पहचान और उपचार के लिए प्रदेश के कैंसर केयर मेंटर डा. दिनेश पेंढारकर की ओर से शिविर लगाए जाते हैं।


एक फसल में कीटनाशकों का 3 से 4 बार प्रयोग
सीकर जिले में रबी की बुवाई से लेकर कटाई तक फ सलों में औसतन 3 से 4 बार कीटनाशकों और यूरिया डीएपी का प्रयोग होता है। इस कारण खेतों में उपजने वाले अनाज और सब्जियों में कीटनाशकों का अवशेष बड़ी मात्रा में चला जाता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग के कारण 2020 तक देश में कैंसर मरीजों की संख्या में करीब सवा 17 लाख रोगियों का इजाफा होने का अनुमान है।


जानिए किस तरह बढ़ रहा है खतरा
कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 1950 में देश में जहां 2 हजार टन कीटनाशक की खपत थी वहीं अब बढकऱ 90 हजार टन हो गई है।
60 के दशक में जहां देश में 6.4 लाख हेक्टेयर में कीटनाशकों का छिडक़ाव होता था वहीं अब डेढ़ करोड़ हेक्टेयर में कीटनाशकों का छिडक़ाव हो रहा है।
केयर रेटिंग की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों का अवशेष 20 प्रतिशत तक है जबकि वैश्विक स्तर पर यह मात्र 2 प्रतिशत तक होता है।
भारत में केवल ऐसे 49 प्रतिशत ही खाद्य उत्पाद हैं जिनमें कीटनाशकों के अवशेष नहीं मिलते जबकि वैश्विक स्तर पर 80 प्रतिशत खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों के अवशेष नहीं है।

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