scriptकोरोना का खौफ कम भूख और बेबसी कर ही मजदूरों को बेहाल | The fear of Corona is less hunger and helplessness for the workers | Patrika News
सीकर

कोरोना का खौफ कम भूख और बेबसी कर ही मजदूरों को बेहाल

पिता बोला, बस बेटा थोड़ी दूर और…

सीकरMar 31, 2020 / 05:55 pm

Suresh

कोरोना का खौफ कम भूख और बेबसी कर ही मजदूरों को बेहाल

कोरोना का खौफ कम भूख और बेबसी कर ही मजदूरों को बेहाल

शिश्यंू. पिछले तीन दिनों से एनएच 52 पर परिवार के परिवार अपने थोड़े बहुत सामान के साथ बिना नेतृत्व के जुलूस की तरह बढ़ते चले जा रहे हैं। थक जाते तो हाइवे के किनारे सुस्ताने के लिए बैठ जाते। ऐसा भी देखने को मिला कि बच्चों की हिम्मत चलते चलते जवाब दे गई तो पिता बोला, बेटा बस थोड़ी दूर और। देश के किसी किसी राज्य में तो लोग 100-100 किलोमीटर तक पैदल चल रहे हैं। सभी को घर पहुंचने की जल्दी है। लेकिन ये बढ़े कदम कहां थमेंगे, अब सरकार के हाथ में है। इससे सरकारों के प्रति लोगों की अविश्वसनीयता कहे या डर।
सीकर में मजदूरी करने वाली कानी देवी का बेटा आठ वर्ष का है। पति के साथ तेज कदमों से बेटे को गोदी में लिए चली जा रही थी। रोककर मंजिल पूछी तो बताती है कि अपने घर मध्यप्रदेश जाना चाहती है। जाने का कारण कोरोना का डर नहीं बल्कि भूख है। उसे जल्द परिवार से मिलना है।
जयपुर में व्यवसाय करने वाले गणेश अपने कुछ दोस्तों के साथ पैदल जाते हुए एनएच 52 गौरियां पुलियां के पास मिले ठसाठस भरे ट्रक में चढऩे के लिए जी जान से जोर लगाए हुए थेे। पूछा, तो बोले, बीकानेर जा रहे हैं। पहले अपने वाहन से जाना था लेकिन लॉकडाउन हो गया। जब पता चला की बस से जाने का विकल्प है तो जाने का फै सला किया। पूरा देश बंद है। मेरे फ्लैट में बाकी दोस्त भी मेरे साथ घर जा रहे है। वहां जाकर फि र भी कुछ हद तक सुरक्षित रहेंगे।
आगे भी बंद रहा तब क्या करेंगे
सीकर में मजदूरी करने आई मंगली देवी अपनी दो सहेली और दो छोटे बच्चों व पति सुण्डालाल और देवर के साथ सीकर से पैदल रानोली मुख्य स्टैंड पर महाराष्ट्र जाने के लिए पैदल ही रवाना हो गई। पूछने पर बताया, हमारे वृद्ध माता-पिता के पास जाना है। अगर उनके कुछ हो गया तो हम क्या करेंगे। इसलिए सीकर में वाहन नहीं मिलने पर रविवार को पैदल ही रवाना हो गए। साथ ही कहा कि जहां मजदूरी करते थे वहां खाने के लिए किसी ने भी हमें नही पूछा। अगर कोरोना का प्रभाव खत्म नहीं हुआ तक क्या खाएंगे, कहा जाएंगे।
अखैपुरा टोल बूथ पर स्क्रीनिंग शुरू
पलसाना. राष्ट्रीय राजमार्ग 52 से होकर पैदल जा रहे दूसरे प्रदेशों के मजदूरों की स्क्रीनिंग नहीं होने को लेकर राजस्थान पत्रिका में सोमवार को खबर प्रकाशित होने के बाद सोमवार को चिकित्सा विभाग ने अखैपुरा टोल बूथ पर चिकित्सा कर्मी लगाकर पैदल जा रहे राहगीरों की स्क्रीनिंग शुरू करवा दी है। गौरतलब है कि शनिवार और रविवार को राष्ट्रीय राजमार्ग से सैंकड़ों की संख्या में मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के मजदूर पैदल ही अपने गांवों की ओर लौट रहे थे।

इस दौरान शनिवार को तो चिकित्सा विभाग की ओर से अखैपुरा टोल बूथ पर पैदल जा रहे मजदूरों की स्क्रीनिंग करवाई थी। लेकिन रविवार को स्क्रीनिंग की व्यवस्था नहीं की गई थी। ऐसे में सैंकड़ों की संख्या में मजदूरों को बिना स्क्रीनिंग के ही भेज दिया गया। अब अखैपुरा टोल बूथ पर दो चिकित्साकर्मी लगाकर स्क्रीनिंग शुरू की गई है। इस दौरान सोमवार को देश के अन्य प्रदेशों से पैदल व बाइकों पर सवार होकर आए राजस्थान के कई कामगारों की स्क्रीनिंग की गई।

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