रथ सप्तमी पर उगते हुए सूर्य को दे अघ्र्य, बढ़ेगा तेज
- सूर्य मंदिरों में होंगे धार्मिक आयोजन

सीकर. माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। यह अचला सप्तमी के नाम से भी जानी जाती है। इस बार यह पर्व 19 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक कार्यक्रम होंगे। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि इसदिन उगते हुए भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान सूर्यदेव ने पूरे ब्रह्मांड को अपने दिव्य ज्योति से प्रकाशित किया जाता है। इसलिए इस दिन सूर्य देव की आराधना करना शुभ माना जाता है। अचला सप्तमी को रथ आरोग्य सप्तमी, भानु सप्तमी, अर्क सप्तमी, सूर्यरथ सप्तमी, संतान सप्तमी और माघी सप्तमी आदि नाम से जाना जाता है। यह सप्तमी साल की सप्तमी में सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। पुराणों में सप्तमी तिथि का संबंध सूर्यदेव से बताया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके वस्त्र आदि दान करने से सात जन्मों के पाप से मुक्त हो जाते हैं।------इन क्षेत्रों में मिलता है सूर्य का शुभ फल
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन जो भी व्यक्ति सूर्यदेव की पूजा-अराधना करने के बाद पूरे दिन बिना नमक खाए फलाहार करता है तो उसे पूरे साल सूर्यदेव की पूजा करने का पुण्य एक ही बार में प्राप्त हो जाता है। साथ ही कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, जिससे वह शुभ फल देते हैं। नवग्रहों के राजा सूर्य की स्थिति मजबूत होने से सरकारी क्षेत्र, अधिकारी वर्ग, मान-प्रतिष्ठा पर सूर्य का शुभ फल प्राप्त होता है। साथ ही यह सेहत को भी प्रभावित करता है।
सूर्य मंदिर में तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम
सीकर. बजाज रोड स्थित सूर्य मंदिर में सूर्य सप्तमी के उपलक्ष्य में चार दिवसीय धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं। 16 से 19 फरवरी तक चल रहे इन आयोजनों में गुरुवार दोपहर दो बजे भगवान सूर्य का अभिषेक किया जाएगा। बाद में हवन व रात में जागरण होगा। शुक्रवार को 11.15 बजे सूर्य जन्मोत्सव की आरती कर प्रसाद वितरण किया जाएगा। शाम 4.15 बजे सूर्य नारायण की शोभायात्रा निकाली जाएगी।
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