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सीकर

मिलिए मो. इसाक से जो घायल गोवंश के लिए दौड़ पड़ते तो मृत गायों का हिंदू रीति रिवाज से करते है अंतिम संस्कार

सेवा का जज्बा व जुनून हो तो मुश्किलें इरादे नहीं बदल सकती है। बेशक मन में आत्म विश्वास होना जरूरी है सकारात्मक सोच के साथ की गई पहल मिसाल बन जाए तो क्या कहेगें। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गुहाला निवासी मो. इसाक कांवट ने।

सीकरJan 27, 2019 / 05:48 pm

Vinod Chauhan

सेवा का जज्बा व जुनून हो तो मुश्किलें इरादे नहीं बदल सकती है। बेशक मन में आत्म विश्वास होना जरूरी है। सकारात्मक सोच के साथ की गई पहल मिसाल बन जाए तो क्या कहेगें। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गुहाला निवासी मो. इसाक कांवट ने।

मिलिए मो. इसाक से जो घायल गोवंश के लिए दौड़ पड़ते तो मृत गायों का ***** रीति रिवाज से करते है अंतिम संस्कार

चला.

सेवा का जज्बा व जुनून हो तो मुश्किलें इरादे नहीं बदल सकती है। बेशक मन में आत्म विश्वास होना जरूरी है। सकारात्मक सोच के साथ की गई पहल मिसाल बन जाए तो क्या कहेगें। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गुहाला निवासी मो. इसाक कांवट ने। जिन्होने ने चार साल पहले गौ सेवा की खातिर इस तरह की शुरूआत की जो अब सभी के लिए मिसाल बन गई है। गुहाला क्षेत्र में अगर किसी घायल गाय की सूचना मिलती है तो इसाक तुरंत की सार संभाल के लिए पहुंच जाता है। वहीं पशु चिकित्सक को मौके पर बुलाकर उसका इलाज कराते है। यही नहीं एक मुस्लिम परिवार से होने पर भी इसाक अपने घर पर भी वर्षो से गौपालन कर उनकी पूरी सेवा कर हिन्दु-मुस्लिम सौहार्द की भावना का संदेश दे रहे है। जहां भी जाते है चाहे शादी समारोह हो, जलवा पूजन हो, सवामणी समारोह, पौषबड़ा महोत्सव हो चाहे अन्य सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में कार्यक्रम हो तो वहां पर भी गौ सेवा के प्रति लोगों को प्रेरित कर जागरूक करने से अपने आपको नहीं रोक पाते है।


विधान से कराते है अंतिम संस्कार
गुहाला निवासी गौ सेवक इसाक गौ सेवा के लिए पूरी तरह अपना जीवन समर्पित कर दिया। इनकी सार संभाल में तो जुटे हुए ही है साथ ही आबादी क्षेत्र में मृत गायों को भी अपनी गाड़ी से उठाकर उनको दूर ***** रीति रिवाज के तहत विधि विधान से मिटटी में दफ नाकर एक अनूठी मिसाल कायम कर रहे है।

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