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सिंगरौली

बारिश होते ही फ्लाईऐश डैम के किनारे खेतों में फिर भर गया राख का मलबा

कंपनियों की मनमानी के आगे प्रशासन भी बेबस …..

सिंगरौलीAug 02, 2021 / 12:09 am

Ajeet shukla

debris of Reliance Dam's flyash fill in Singrauli farmers' field

debris of Reliance Dam’s flyash fill in Singrauli farmers’ field

सिंगरौली. धान की दो बार बोवनी कर चुके हैं। एक बार बोवनी से पहले ही राख का मलबा खेत में भर गया था। बोवनी के बाद दो बार भर चुका है। कंपनी के अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासन तक के अधिकारियों से राहत की गुहार लगाई गई, लेकिन फ्लाईऐश डैम से निकलने वाला राखड़ बंद नहीं हुआ।
जरा सी बारिश होने के बाद ही पानी के साथ राख का मलबा खेतों में भर जाता है। यह कहना है हर्रहवा के किसान रामकृपाल का। रामकृपाल जैसा हाल दर्जनों की संख्या में दूसरे किसानों का भी है। पिछले दो दिनों से हो रही रिमझिम बारिश में रिलायंस सासन पावर के फ्लाईऐश डैम से राख का मलबा बह चला है।
बारिश शुरू होने और डैम से निकलने वाले राखड़ को लेकर वैसे तो कंपनी की ओर से वहां सुरक्षा कार्य करने के लिए जेसीबी सहित अन्य मशीनों के साथ कर्मचारियों को लगाया गया है, लेकिन सारी कवायद केवल खानापूर्ति तक सीमित है। डैम से राख का मलबा निकलने का सिलसिला जारी है।
आलम यह है कि एक बार फिर 50 से अधिक किसानों के खेतों में मलबा भर गया है। दूसरी ओर करीब एक सैकड़ा किसानों ने खेत में बोवनी ही नहीं की है। क्योंकि उनके खेतों में राख का इतना मलबा भर गया है, जिसे निकालना उनकी ओर से मुमकिन नहीं हुआ है।
ओबी से भी तबाही भी जारी है
फ्लाईऐश डैम के अलावा ओबी से भी तबाही का सिलसिला जारी है। ओबी के पहाड़ चाहे रिलायंस सासन पॉवर का हो या फिर एनसीएल का। वहां भी अभी सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए जा सके हैं। नतीजा एक ओर से ओबी के पहाड़ों से मिट्टी बहकर किसानों के खेतों तक पहुंच रही है। वहीं बस्तियों में घरों तक मलबा पहुंचने का भय सता रहा है।
प्रशासन का आदेश भी बेअसर
फ्लाइऐश डैम व ओबी के पहाड़ों से होने वाली समस्या को दूर करने के लिए जिला प्रशासन ने कंपनियों को निर्देशित किया है कि वहां सुरक्षा व्यवस्था बनाएं। फिलहाल अभी तक कंपनियों की ओर से ऐसा कुछ नहीं किया जा सका है, जिससे किसानों व रहवासियों को राहत मिल सके। आलम यह है कि अभी भी उनकी समस्या बरकरार है।
अभी मुआवजा भी नहीं मिला
किसानों को कहना है कि एक ओर जहां कंपनियों की ओर से समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर से एक महीना पहले हुए उनके नुकसान की भरपाई भी नहीं की गई है। पूर्व में किसानों की मांग पर जिला प्रशासन ने नुकसान का सर्वे तो कराया, लेकिन अभी सारी कवायद केवल सर्वे तक सीमित है। यह हाल तब है जबकि प्रशासन ने किसानों का नुकसान स्वीकार किया है।

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