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सिंगरौली

नए वर्ष के स्वागत को तैयार सिंगरौली की ये खूबसूरत वादियां

मप्र एवं छत्तीसगढ़ की सीमा पर है रसगण्डा झील,सातवीं सदी की माड़ा की गुफाएं सैलानियों को लुभाती हैं

सिंगरौलीDec 30, 2017 / 07:12 pm

Vedmani Dwivedi

Tourist Places in Singrauli

Tourist Places in Singrauli

सिंगरौली. वैसे तो हर जगह की अपनी एक पहचान होती है। खासयित और खूबी होती है। मगर, सिंगरौली जिले की पहचान समूचे देश में ऊर्जाधानी के रूप में की जाती है। यहां कोयले का अपार भण्डार है। पानी का अथाह सागर है। इस स्थिति में ऊर्जा पैदा होना स्वाभाविक है।
यहां देश की सबसे बड़ी तापीय परियोजना विंध्यनगर एनटीपीसी है। जहां से रोजाना 4760 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाता है। एनसीएल की दस ओपेनकास्ट कोलमाइंस हैं। इस जिले में हिण्डाल्को महान एल्युमीनियम कंपनी, एस्सार पॉवर, सासन पॉवर, जेपी पॉवर समेत कई निजी परियोजनाएं संचालित हैं।
इस तरह से एशिया की सबसे बड़ी झील रिहंद डैम भी इसी जिले में स्थित है। जो यूपी, छत्तीसगढ़, मप्र आदि राज्यों में स्थित है। आप , अपने परिवार के साथ नये साल पर घूमने-फिरने का मन जरूर बनाए होंगे। यह लाजमी भी है। तो, आप नये साल पर जरूर पिकनिक मनाने जाएं।
रसगण्डा झील
यह मप्र एवं छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित एक प्राकृतिक झील है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी 40 किमी. के आसपास है। यूपी, एमपी एवं छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशों के लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं। यहां पानी पहाड़ों से हमेशा झरना के रूप में गिरता रहता है। यहां की खूबसूरती चिकने एवं सुडौल पत्थर बनाते हैं। सैलानी यहां झरने का आनंद लेते हैं। पानी में बहाव तेज रहता है। झरने के आसपास जामुन के पेड़ आकर्षण का केंद्र बने रहते हैँ। नये साल पर यहां काफी भीड़ रहती है।
माड़ा की गुफाएं
सातवीं सदी की माड़ा की गुफाएं सैलानियों को लुभाती हैं। जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी. दूर ये प्राकृतिक गुफाएं हैं। जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रकूट के समय की ये गुफाएं बनी हैं। जिन्हें राष्ट्रकूट ही बनाए थे। कुछ दिन पहले मप्र ईको पर्यटन बोर्ड ने गुफाओं के कायाकल्प के लिए वन विभाग को 50 लाख रु मंजूर कर दिए हैं। माड़ा की गुफाएं पर्यटकों को लुभाने वाली हैं। चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाएं ७ वीं सदी की प्रतीत होती हैं। सैलानी यहां पिकनिक मनाने के लिए जाते हैं। यहां पर विवाह माड़ा गुफाएं, रावण माड़ा गुफाएं, शंकर-गणेश माड़ा गुफाएं और जल-जलिया माड़ा गुफाएं हैं।
रिहंद डैम
रिहंद डैम को जीवनदायिनी कहा जाता है। एशिया की सबसे बड़ी झील होने के नाते सैलानी यहां घूमने के लिए जाते हैँ। देश के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू ने रेणुका नदी पर वर्ष 1954 में इस बांध की आधारशिला रखे थे। सैलानी यहां भी पिकनिक मनाने के लिए जाते हैँ।
मुड़वानी डैम
जिला मुख्यालय से महज छह किमी दूर मुड़वानी डैम स्थित है। कलेक्टर अनुराग चौधरी ने इसे पर्यटक स्थान के रूप में विकसित करने की योजना तय कर चुके हैं। यहां लोग पिकनिक मनाने जाते हैं। चारों ओर ओवर बर्डेन से घिरा यह डैम देखने में दूर से ही खूबसूरत लगता है।
चिल्काडांड झील
यह झील एनटीपीसी शक्तिनगर परिक्षेत्र में है। एनटीपीसी प्रबंधन ने निर्माण कराया है। झील प्राकृतिक न होते हुए भी सैलानियों को लुभाती है। पानी का बहाव ऊपर से होता है। यहां भी लोग पिकनिक मनाने के लिए जाते हैं। यहां लोग नौका विहार करते हैं। यहां परिवार के साथ जाना अच्छा होगा।

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