इन दिनों उन्होंने एक डीजर यंत्र बनाया है। जो मूंगफली की तैयार फसल को निकालने का काम कर रही है। यह डीजर भूमि से पैदावार निकाल रही है। बुवाई के समय बीज व खाद समान मात्रा में खेत में डालने के यंत्र पहले बना चुके है। जो पानी का भी छिडकाव करते है। ओबाराम ने बताया कि गांव में जल स्तर की स्थिति अच्छी है। सिंचाई सुविधा मिलने से फसलों की पैदावार भी अच्छी होती है। यहां मूंगफली की साल में दो बार बम्पर बुवाई होती है। डीजर से मूंगफली की फसल निकालने में ज्यादा मजदूर नहीं लगाने पड़ते। यह यंत्र एक घंटे में करीब चार बीघा जमीन से मूंगफली निकाल सकती है।
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ओबाराम ने बताया कि तीन चार बीघा से मूंगफली निकालने में तीस मजदूर लगाते है। प्रति मजदूर 400 दिहाड़ी तथा 50 किराया तथा एक दो किलो मूंगफली यानी पंद्रह हजार का खर्च होते थे। जबकि यंत्र घंटे में चार बीघा से मूंगफली निकालती है। जिसका खर्च मात्र दो हजार रुपए है। इसको बनाने में 14दिन, 700 किलो लोहा समेत ढाई लाख रुपए खर्चा आया। यंत्र में ऑयल वाली ऑर्बिट मोटर लगाई है। जिससे उसकी स्पीड बढ़ाई जा सकती है। स्पीड बढ़ाने पर प्रतिदिन 200 बीघा से मूंगफली निकली जा सकती है।