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हरियाणा में मानसून का औसत से नीचे का रूख बना चिंता का कारण,कुछ ऐसा रहा अलग-अलग जिलों में बरसात का आंकडा

क्षेत्र के राज्यों की तुलना में हरियाणा में वर्षा में कमी सबसे अधिक है…

सिरसाAug 24, 2018 / 02:43 pm

Prateek

(चंडीगढ): हरियाणा में मानसून का औसत से नीचे का रूख चिता का कारण बना हुआ है। हालांकि वर्षाकाल के ज्यादातर समय यह प्रदेश में सामान्य का रूख बनाए रहा लेकिन अब गिरावट के रूख ने चिता की लकीरें पैदा कर दी है।

 

क्षेत्र के राज्यों की तुलना में हरियाणा में वर्षा में कमी सबसे अधिक है। इस कारण बडे बांधों में भी पानी की कमी पैदा हो गई है। मौसम विभाग के अनुसार पिछले 21 अगस्त तक हरियाणा में 337.5मिमी औसत वर्षा के मुकाबले 260.3 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। यह लम्बी अवधि के औसत से 23 फीसदी कम है। जम्मू-कश्मीर में वर्षा लम्बी अवधि के औसत से 13 फीसदी अधिक वर्षा दर्ज की गई है। लेकिन हिमाचल प्रदेश और पंजाब में यह औसत से 4 और 12 फीसदी कम है।


हरियाणा के ज्यादातर जिलों में वर्षा में औसत से 53 फीसदी तक कमी दर्ज की गई है। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में सोनीपत में 53 फीसदी कमी,पानीपत में 52फीसदी,रोहतक में 50 फीसदी,पंचकूला में 47 फीसदी,फतेहाबाद में 44फीसदी और अम्बाला में 41 फीसदी,पलवल,गुरूग्राम,रेवाडी,झज्जर,हिसार और भिवानी में सामान्य से 21 से 39 फीसदी तक कम वर्षा हुई। महेन्द्रगढ,फरीदाबाद,सिरसा,कैथल,कुरूक्षेत्र जिलों में वर्षा 4 से 14 फीसदी तक सामान्य से कम रही। प्रदेश के करनाल जिले में इस मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई। यमुनानगर और मेवात जिलों में वर्षा लम्बी अवधि के औसत से कुछ अधिक दर्ज की गई। हरियाणा अपनी जरूरत के पानी का बडा हिस्सा भाखडा-ब्यास प्रबन्धमंडल से लेता है। भाखडा बांध में पानी की कमी पहले ही चिंता का कारण बनी हुई है।


भाखडा-ब्यास प्रबन्ध मंडल ने राज्यों को सलाह दी है कि इस बार बांध में पानी की आवक कम होने से जलस्तर ऐतिहासिक रूप से नीचे चला गया है तो वे अपनी जरूरत पूरी करने के लिए वर्षाजल का भण्डारण और संरक्षण करें।

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