भाजपा से पहले सपा ने अपने कई प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है तो वहीं कांग्रेस ने पहले चरण में होने वाले चुनावों के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इनके अलावा बसपा ने कुछ ही स्थानों पर प्रत्याशी उतारने का मन बनाया है। इस बार
आम आदमी पार्टी भी यूपी के निकाय चुनाव में उतरकर अपनी राजनैतिक जमीन की हकीकत जानना चाहती है। फिलहाल इस वक्त की सबसे मजबूत और सत्ताधारी पार्टी भाजपा के हर एक कदम पर सबकी नजर है और निकाय चुनावों को लेकर काफी उत्सुकता भी। जाहिर है इस निकाय चुनाव के बाद सीधे 2019 का लोकसभा चुनाव ही उत्तर प्रदेश में होना है और ऐसे में पार्टी निकाय चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन कर योगी सरकार के 6 माह से अधिक के कार्यकाल पर जनता के भरोसे की मोहर लगाकर विपक्षियों को फिर से चित करना चाहती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर शुरू होते हैं शुभ काम
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्त्व है। प्रबोधनी एकादशी के बाद पड़ने वाली इस पूर्णिमा का विशेष महत्त्व माना जाता है। पंडितों की मानें तो एकादशी पर कई माह से नहीं हो रहे शुभ कार्य शुरू होते हैं, जो पूर्णिमा से ठीक पहले पड़ती है।
नगर निकायों में पहले भी भाजपा का दिखा है दमखम
यूपी में सत्ता से तकरीबन 15 साल से बाहर रहने वाली भाजपा ने बीते इन अज्ञात सालों में भी अपना असर नगर निकायों के चुनावों में बनाये रखा था। यूपी के कई महानगरों में भाजपा के ही मेयर चुने जाते रहे हैं और ऐसे में भाजपा इस चुनावों में अपनी और धमक दिखाना चाहेगी।