लगातार चल रहा राहत व बचाव का काम
घटना के बाद से ही मलबा हटाने का काम लगातार चलता रहा। शुक्रवार की रात में अंधेरा होने और और पत्थर गिरने की आशंका को देखते हुए राहत और बचाव कार्य को रोक दिया गया था। शनिवार की सुबह जैसे ही पुनः राहत और बचाव कार्य शुरू हुआ तो पत्थरों के नीचे से मजदूर सुलेन्द्र का शव बरामद हुआ। उसके करीब पांच घण्टे बाद शनिवार की ही शाम करीब चार बजे छोटेलाल का शव मिला। राहत और बचाव कर रहे कर्मियों को तीन और मजदूरों के और दबे होने की आशंका थी। लिहाजा रविवार की सुबह तक बचाव कार्य जारी रहा। वहीं और शव मिलने की जानकारी होने के बाद कई प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और तीसरे दिन चल रहे राहत और बचाव कार्य का जायजा लिया।
तीन मजदूरों के और मिले शव
रविवार की भोर में करीब पौने चार बजे तीन और मजदूरों गुलाब पुत्र देवराज निवासी पतेहवा, चोपन, राम प्रहलाद पुत्र चन्दर निवासी पतेहवा टोला, शिवचरन पुत्र शिवधारी निवासी पतेहवा टोला थाना चोपन का शव निकाला गया। जिससे मृतकों की संख्या बढ़कर पांच हो गई। मलबे का काफी हिस्सा दो दिनों के बाद भी मौके पर पड़ा रहा। वहीं सुरक्षा के बीच उसे भी खंगाल कर अन्य मजदूरों के वहां होने की संभावना की पड़ताल करने के बाद ही राहत और बचाव कार्य कर रही टीम हटेगी। सोनभद्र के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव समेत कई अधिकारी दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। जिलाधिकारी ने बताया कि खदान में अभी दो और मजदूर दबे हो सकते हैं। बचाव कार्य में राष्ट्रीय आपदा राहत बल की भी मदद ली जा रही है। वहीं, सुरक्षा के बीच उसे भी खंगाल कर अन्य मजदूरों के वहां होने की संभावना की पड़ताल करने के बाद ही राहत और बचाव कार्य कर रही टीम हटेगी।
सुरक्षा मानकों को किया नजरअंदाज
खनन के लिए तय सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज करने के कारण ही बिल्ली मारकुंडी पत्थर खदान में हादसा हुआ है। जिस खदान में हादसा हुआ वह लगभग 250 फीट गहरी थी, बावजूद पत्थर के खनन के लिए ड्रिलिग का कार्य जारी था। तय मानक से कहीं अधिक 250 फीट गहरी खदान में किन कारणों से खनन को अंजाम दिया जा रहा था और खनिज विभाग के अधिकारी क्यों मौन रहे, यह सबसे बड़ा सवाल हादसे के बाद खड़ा हो गया है। हादसे के बाद खनिज विभाग के कोई अधिकारी किसी तरह का बयान देने से भी बचते रहे।