एनजीओ माफिया का बड़ा फर्जीवाड़ा: बंद झूला घरों को कर दिया लाखों का भुगतान
– जिले में 38 पालना घर थे संचालित, एक पालना घर को दिया 1.36 लाख साल के हिसाब से अनुदान
– 2016 से 2019 तक कागजों में संचालित थे घर फिर भी दिया भुगतान, विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से हुआ लाखों का बंदरबांट
मुरैना. जिले में रेत, पत्थर, नकल व मिलावट के बाद एनजीओ माफिया भी सामने आया है। महिला एवं बाल विकास के अधिकारी व कर्मचारियों की मिली भगत से एनजीओ ने मुरैना बड़ी फर्जीवाड़ा किया है। यहां पालना (झूला) घरों के बंद होने के बाद भी विभाग की मिली भगत से एनजीओ ने लाखों रुपए का अनुदान डकार लिया। जब महिला बाल विकास को पता चला तो अब अधिकारी जांच कराने की बात कह रहे हैं। केन्द्रीय समाज कल्याण विभाग की देखरेख में वर्ष 2015 तक झूला घरों का संचालन किया गया और वर्ष 2016 से 38 झूला घरों का संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग के हैंडओवर किया गया। इनमें चार- पांच एनजीओ को छोडकऱ ज्यादातर को भुगतान किया गया। एनजीओ द्वारा संचालित झूला घर वर्ष 2016 से 2019 तक कागजों में संचालित किए गए, उसके बाद भी विभाग ने एनजीओ को लाखों रुपए का अनुदान जारी किया गया। विभाग द्वारा एक झूला घर को साल में 1.36 लाख रुपए का अनुदान दिया गया फिर भी झूला घरों का संचालन कागजों में चलता रहा। इस दौरान अधिकारियों ने निरीक्षण तक नहीं किया इससे स्पष्ट होता है कि विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से शासन के रुपयों को खुर्द बुर्द किया गया। लेकिन जब मामला अधिकारियों के संज्ञान में आया तो उनके होश उड़ गए और अब जांच करा रहे हैं। पता चला है कि इन झूला घरों के किस एनजीओ को देना हैं, इसमें विभाग की एक महिला कर्मचारी जिसका मुरैना की एनजीओ पर अच्छा खासा होल्ड है, की भूमिका जांच के दायरे में हैं। कहां कितने संचालित हैं झूला घर सबलगढ़ 11 मुरैना 14 जौरा 06 कैलारस 02 अंबाह 01 पोरसा 04 इन एनजीओ ने किया झूलाघरों का संचालन महात्मा शिक्षा प्रसार समिति द्वारा आठ, वरखंडी शिक्षा प्रसार समिति आठ, जगदंबा शिक्षा समिति चार, सुमन रानी शिक्षा प्रसार समिति चार, बैजंती महिला समाज कल्याण समिति पांच, महिला परिषद चार और अन्य एनजीओ ने एक या दो झूला घरों का संचालन किया। क्या होता था झूला घर में शासन द्वारा संचालित झूला घर में बच्चों का लालन-पालन होता था। ऐसे बच्चे जिनके माता- पिता कही जॉब में हैं, मजदूरी करते हैं, अथवा बस्ती के अभावग्रस्त परिवार के बच्चों को झूला घर में रखा जाता था। इन बच्चों के लिए दिन का पौष्टिक भोजन भी एनजीओ को देना था लेकिन सिर्फ बिस्किट से ही दिए गए। कहा था 2016 से एटीएम बनवा लो, खाते में पैसे आएंगे, उसके बाद बंद ही हो गया झूला घर
वरखंडी शिक्षा समिति द्वारा झूला घर का संचालन किया गया। पहले हमको 1500 रुपए व 30 बिस्किट महीने पर दिए जाते थे। फिर हमसे कहा गया कि एटीएम बनवा लो, वर्ष 2016 से खाते में पैसे आएंगे लेकिन पैसे तो छोडि़ए झूला घर ही बंद हो गया। झूला घर में सुबह सात बजे से दो बजे तक बच्चे रहते थे। अधिकारी कभी चेक करने नहीं आए, एक बार हम मुरैना ही गए थे। वर्ष 2016 के बाद झूला घर पर कोई पैसा नहीं दिया गया। राधा देवी, व्यवस्थापक झूला घर
वरखंडी शिक्षा समिति द्वारा हमारे मकान में झूला घर संचालित किया जा रहा था। मकान को 500 रुपए महीने पर किराए पर लिया था, इसकी व्यवस्था सुनीता नाम की महिला देखती थी लेकिन वर्ष 2011-12 से झूला घर की गतिविधियां ठप हैं। न तो कोई पैसा दिया और न कोई सामग्री दी गई। हमको किराया भी नहीं मिला है। मकान में ताला पड़ा है, बोर्ड भी लगा है। राधेश्याम शर्मा, मकान मालिक महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रदीप राय से पत्रिका की सीधी बात पत्रिका: झूला घरों का संचालन कब हुआ। डीपीओ: वर्ष 2015 तक झूला घरों का संचालन केन्द्रीय समाज कल्याण विभाग और वर्ष 2016 से महिला एवं बाल विकास विभाग ने किया। पत्रिका: झूला घरों को कब तक भुगतान किया गया। डीपीओ: महिला एवं बाल विकास विभाग के हैंडओवर होने पर वर्ष 2016 से 2019 तक प्रति झूला घर को साल में 1.36 लाख रुपए अनुदान दिया गया। पत्रिका: व्यवस्थापकों से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया है कि झूला घर तो वर्ष 2016 से ही बंद पड़े हैं, फिर कैसे भुगतान कर दिया। डीपीओ: अगर ऐसा है तो जिस कार्यकाल मे राशि जारी की गई है, उस समय की जांच करा लेते हैं, अगर बंद रहे तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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