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LOCKDOWN : महामारी में बुजुर्गों की देखभाल के लिए कंपनियां अपना रही हैं ऐसी युक्ति

-लॉकडाउन के दौरान एकाकीपन से बुजुर्गों की सेहत पर बुरा असर (Loneliness during lockdown adversely affects the health of the elderly)-तनाव, अनिद्रा, भूख न लगने जैसी समस्याओं से ग्रसित (Affected by problems like stress, insomnia, loss of appetite)

Jun 15, 2020 / 01:07 am

pushpesh

LOCKDOWN : बुजुर्गों की सेहत पर असर

जयपुर. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब महामारी के दौरान अकेले में रहने के दौरान बुजुर्गों की सेहत पर बुरा असर पड़ा है। सार्वजनिक और निजी जीवन में बुजुर्गों को अलग-थलग न होने दें, उनका सहयोग करें। घर पर एकांत में रहने के कारण व्यायाम की कमी से उनकी पुरानी बीमारियां और गंभीर हो जाती हैं। लोगों से बातचीत नहीं कर पाने से तनाव, अनिद्रा और भूख नहीं लगती। जब से कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ, कई बुजुर्गों में ऐसी समस्याएं सामने आई हैं। इस अवधि में ज्यादातर वेलफेयर वॉलंटियर और स्थानीय लोग ऐसे बुजुर्गों से मिलने घर नहीं गए और ना ही उनके लिए कोई सामाजिक उपाय किया। स्वीडन और जापान में सरकार और कुछ सामाजिक संगठनों ने युक्ति खोजी है। कोई सेंसर से एकाकी जीवन जी रहे बुजुर्गों की खबर ले रहे हैं तो कोई नियमित बुजुर्गों के घर जाने वाले कर्मचारियों से इनपुट ले रहे हैं।
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बुजुर्गों की देखभाल के लिए युक्तिसंगत प्रणाली बने
बुजुर्ग लोगों की देखभाल के लिए यह जांचना महत्वपूर्ण है कि क्या वे अच्छे से खाना खा रहे हैं या अच्छे से सो रहे हैं। ऐसी प्रणाली विकसित करने चाहिए ताकि वे अपनी शारीरिक स्थिति में आए अचानक बदलाव के बाद वे अन्य लोगों से तत्काल संपर्क कर सकें। कोरोना के प्रकोप के कारण स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय ने देश की स्थानीय सरकारों को ऐसे बुजुर्गों की निगरानी के लिए अनुरोध किया है। हालांकि कुछ सरकारों ने इलेक्ट्रिक, गैस एजेंसी, होम डिलीवरी ऑपरेटर और समाचार एजेंसियो ंके साथ समझौता है, जिनके कर्मचारी नियमित रूप से बुजुर्गों के घरों में जाते हैं। ऐसे सहयोग को और मजबूत किया जाना चाहिए।
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दैनिक सामान की आपूर्ति करने वालों की मदद लेंगे
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग भी महत्वपूर्ण है। फकुओका नगरपालिका ने बुजुर्ग लोगों के घरों में सेंसर लगाने के लिए एक कंपनी से संयुक्त समझौता किया है, ताकि ऐसे असहाय लोगों तक इलाज, दवा और खाद्य सामग्री पहुंचाई जा सके। यदि बुजुर्ग व्यक्ति शारीरिक व्यायाम नहीं करता हे तो उसकी मांसपेशियों में कमजोर हो जाएंगी। ऐसे लोगों को नर्सिंग देखभाल की आवश्यकता है। ऐसे में बुजुर्गों को सावधानी के साथ बाहर जाना चाहिए और घर के छोटे-छोटे कामों के जरिए खुद को व्यस्त रखना चाहिए।
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जापान में है बड़ा संकट, यहां 68 लाख बुजुर्ग
60 के दशक में जापान के फुकुशिमा प्रांत में मई महीने में एक व्यक्ति अपने घर पर मृत पाया गया। माना जाता है कि बुजुर्ग के घर से नहीं निकलने के कारण दो महीने बाद उनकी मौत का पता चला। जापान में करीब 68 लाख बुजुर्ग हैं। इनमें ज्यादातर बिना परिवार और दोस्तों के रह रहे हैं, जिन पर वे आश्रित हों। ऐसे में इनकी देखभाल के लिए सामुदायिक भूमिका होनी चाहिए। अतीत की तरह बुजुर्गों को देखना भी मुश्किल है। गंभीर बीमार होने की सूरत में उनके संक्रमित होने की आशंका के कारण बुजुर्गों के पास जाना जोखिम भरा हो सकता है। फोन, पत्र या गेट पर इंटरकॉम के जरिए बुजुर्गों से संपर्क किया जाना चाहिए। कुछ बुजुर्ग अपनी स्थिति के बारे में बतान के लिए प्रवेशद्वार पर झंडे आदि लटका लेते हैं।

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