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एशिया के आधे से ज्यादा देशों में बिजली क्षेत्र के डेटा में बड़ा अंतर

जिन देशों में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है उनमें अफगानिस्तान, न्यू कैलेडोनिया, पापुआ न्यू गिनी, तजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान प्रमुख हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया, भारत और न्यूजीलैंड वे राष्ट्र हैं जिनके पास पर्याप्त डेटा पूरी पारदर्शिता के साथ उपलब्ध है। उचित डेटा के अभाव में एशियाई देशों के लिए स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढऩा चुनौतीपूर्ण होगा।

May 08, 2023 / 06:01 pm

Kiran Kaur

एशिया के आधे से ज्यादा देशों में बिजली क्षेत्र के डेटा में बड़ा अंतर

एशिया के आधे से ज्यादा देशों में बिजली क्षेत्र के डेटा में बड़ा अंतर

नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में प्रगति हो रही है। लेकिन ऊर्जा क्षेत्र के डेटा के बिना इस प्रगति की दर को मापना संभव नहीं। एनर्जी थिंक टैंक एम्बर और पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था सुबक की ‘एशिया डेटा ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट 2023’ के अनुसार इस क्षेत्र के 39 में से 24 देशों के पास सार्वजनिक रूप से बिजली क्षेत्र के आंकड़े पर्याप्त नहीं हैं। जिन देशों में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है उनमें अफगानिस्तान, न्यू कैलेडोनिया, पापुआ न्यू गिनी, तजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान प्रमुख हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया, भारत और न्यूजीलैंड वे राष्ट्र हैं जिनके पास पर्याप्त डेटा पूरी पारदर्शिता के साथ उपलब्ध है। उचित डेटा के अभाव में एशियाई देशों के लिए स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढऩा चुनौतीपूर्ण होगा।
स्वच्छ ऊर्जा के लिए संघर्ष कर रहीं अर्थव्यवस्थाएं:

एशिया में कई अर्थव्यवस्थाएं कोयले पर आधारित ऊर्जा निर्माण को कम करने के लिए संघर्ष कर रही हैं क्योंकि आर्थिक विकास के लिए बिजली की मांग लगातार बढ़ी है। पिछले 10 सालों में इस क्षेत्र में बिजली की मांग प्रतिवर्ष 4.5 फीसदी की दर से बढ़ रही है, जो वैश्विक औसत से लगभग दोगुना अधिक है। वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए बिजली क्षेत्र को कार्बन मुक्त करना जरूरी है। रिपोर्ट के अनुसार यह स्पष्ट नहीं है कि इन 24 एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में लगभग 68.4 करोड़ लोगों की ऊर्जा जरूरतों को नवीकरणीय या जीवाश्म ईंधन से पूरा किया जा रहा है या नहीं।
तेजी से डीकार्बोनाइजेशन के लिए डेटा महत्त्वपूर्ण:

एशिया की नौ अर्थव्यवस्थाओं ने नेट-जीरो लक्ष्य निर्धारित किया है। वैश्विक बिजली क्षेत्र का डीकार्बोनाइजेशन (कार्बन की मात्रा को कम करने की प्रक्रिया) एशिया में कोयले से स्वच्छ बिजली की ओर प्रगति किए बिना संभव नहीं। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र के 62 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए एशिया जिम्मेदार है। स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों की ट्रैकिंग और निगरानी, तथ्यों पर आधारित नीतियों के निर्माण और बेहतर ग्रिड फ्लेक्सिब्लिटी के लिए नई तकनीकों को विकसित करने के उद्देश्य से भी डेटा पारदर्शिता आवश्यक है।
भारत, अन्य देशों को दिखा रहा सही दिशा:

सर्वे की छह श्रेणियों में उच्च स्कोर प्राप्त करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से आधे निम्न-मध्यम आय वाले देश हैं। भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसी तीन निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं ने किसी भी उच्च मध्यम आय वाले देश की तुलना में उच्च स्कोर किया है, जिससे एशिया में बेहतर डेटा पारदर्शिता बढ़ी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने बिजली क्षेत्र के आंकड़ों की पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, जो अन्य अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढऩे का रास्ता दिखा रहा है। भारत ने वन-स्टॉप ओपन-एक्सेस डेटा पोर्टल बनाकर डेटा तक पहुंच को आसान बनाया है। इसी तरह बांग्लादेश प्रत्येक बिजली संयंत्र के दैनिक उत्पादन का डेटा प्रदान करता है। श्रीलंका भी अपने ऊर्जा संयंत्रों की जानकारी 15 मिनट के अंतराल में उपलब्ध कराता है। वहीं चीन, जापान, सिंगापुर और हांग कांग में डेटा पारदर्शिता की स्थिति स्वीकार्य बनी हुई है।

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