कुछ शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि छात्रों में अत्यधिक डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल करने से विचलन की आदत पैदा हो सकती है, जो बच्चों की समझ को नुकसान पहुंचाता है। हालंाकि ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म के कारण बच्चों में पढऩे की इच्छा और क्षमता पर असर जरूर पड़ता है। गहन विचार और भावनात्मक क्षमता विकसित करने के लिए जरूरी है कि बच्चों को प्रिंट मैटर का अनमोल अनुभव हो। डिजिटलाइजेशन मुद्रित सामग्री को पढऩे और सीखने का आधार बनना चाहिए।
ऑनलाइन शिक्षा या डिजिटल एजुकेशन पर बहस के बीच जरूरी है कि पहले इसकी इसकी खामियों को दूर कर नियोजित ढंग से तैयारी की जाए। क्योंकि कहीं शिक्षक प्रशिक्षित नहीं हैं, तो कहीं बच्चों के पास डिजिटल डिवाइस ही नहीं। पिछले दिनों एक वेबिनार में राइट टू एजुकेशन फोरम के राष्ट्रीय संयोजक अम्बरीष राय ने कहा कि डिजिटल शिक्षा से 80 फीसदी बच्चों के पढ़ाई से अलग होने का खतरा है क्योंकि सभी के पास डिजिटल डिवाइस नहीं हैं। फिर विशेषज्ञों के साथ अभिभावकों से भी विमर्श जरूरी है।