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बारां

गर्मी के साथ ही आ गया पेयजल संकट

भंवरगढ़. आदिवासी सहरिया क्षेत्र के कई गांवों में गर्मी की शुरुआत में पेयजल संकट गहराने लगा है। फिलहाल तालाबों का पानी रीतने से सबसे अधिक परेशानी पेयजल संकट को लेकर हो रही है।

बारांMar 24, 2019 / 06:57 pm

Mahesh

baran

भंवरगढ़. आदिवासी सहरिया क्षेत्र के कई गांवों में गर्मी की शुरुआत में पेयजल संकट गहराने लगा है। फिलहाल तालाबों का पानी रीतने से सबसे अधिक परेशानी पेयजल संकट को लेकर हो रही है।

भंवरगढ़. आदिवासी सहरिया क्षेत्र के कई गांवों में गर्मी की शुरुआत में पेयजल संकट गहराने लगा है। फिलहाल तालाबों का पानी रीतने से सबसे अधिक परेशानी पेयजल संकट को लेकर हो रही है। यह हालात तब हैं, जबकि गत मानसून सत्र में क्षेत्र में अच्छी बारिश हुई थी। अब लगातार भूजल स्तर गहराने से पेयजल संकट से ग्रामीण रू-ब-रू होने लगे हैं। कई गांवों में हैंडपम्प खराब पड़े हैं तो कई गांवों में कुछ हैंडपम्प पानी की जगह हवा फेंक रहे हैं।
क्षेत्र के रामपुरिया गांव में गत एक माह पूर्व वहां के ग्रामीणों द्वारा बिलासी बांध के व्यर्थ बहते पानी को रोक कर पशु पेयजल के लिए एक अस्थाई मिट्टी का एनिकट बनाया था, लेकिन वहां के कई किसानों द्वारा उस पानी का भी दोहन कर लिए जाने के कारण वह भी रीत गया। ऐसे में पशुओं के सामने पेयजल का गंभीर संकट आ खड़ा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में अनेक संगठन गौ माता के नाम पर राजनीति करते नजर आते हैं, किंतु गौ माता की हालत की ओर किसी का ध्यान नहीं है। वे यहां एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। रामपुरिया जागीर गांव सहित क्षेत्र के दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां अभी से ही भूजल स्तर गहराई पर चला गया। ऐसे में यहां के ग्रामीणों को पेयजल संकट के साथ पशु पेयजल की चिंता सताने लगी है।
गत वर्ष भी बने थे विषम हालात
गत वर्ष भी क्षेत्र के रामपुरिया बांसथूनी, हीरापुर, पिंजना व कुंदा सहित कई गांवों में गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ ही पेयजल की समस्या खड़ी हो गई थी। यहां टैंकरों से पेयजल की आपूर्ति की गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि यहां हर साल पानी की कमी से सैकड़ों जानवर मौत के मुंह में समा जाते हैं।
परम्परागत जल स्रोतों की उपेक्षा
क्षेत्र में पेयजल का संकट का कारण परंपरागत जल स्रोतों की उपेक्षा भी है। पूरे इलाके के कई तालाब अतिक्रमियों की जागीर बनने से भूजल स्तर को संबल नहीं मिल रहा। पेयजल संकट के स्थाई समाधान के लिए सरकार को गहनता से सोचना चाहिए। गर्मी के मौसम मे सरकारी ट्यूबवेल भी हवा फेंकने लगते है ना तो प्रशासन कोई ध्यान देता है
यहां नहीं दिखता जल स्वावलम्बन
क्षेत्र में मनरेगा के माध्यम से मिट्टी की कई तलाइयों का निर्माण करवाया जा रहा है, किंतु उनमें उचित बंदोबस्त नहीं होने के कारण बरसात का पानी रुक ही नहीं पा रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपए व्यर्थ साबित हो रहे हैं। पेयजल के स्थाई समाधान के लिए क्षेत्र के लोगो का कहना है कि यहा पर पानी की कमी पूर्ति के लिए जगह-जगह नदी नालों पर पर एनिकट बनाए जाने चाहिए।
गत वर्ष क्षेत्र में पेयजल का संकट था तो गांव में टैंकरों से जलापूर्ति करवाई गई थी। अभी तो ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, लेकिन जल्द ही क्षेत्र में वास्तविकता का पता कर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जाएगी, ताकि समय रहते उचित प्रबंध किए जा सके।
ओमप्रकाश निर्मल, ग्राम विकास अधिकारी पिंजना
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