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पीढिय़ां गुजर गई पर इस गांव का टापू में तब्दील होना बंद नहीं हुआ

(Bihar News ) हर साल आने वाले बाढ़ अपने साथ इस गांव के लिए बदकिस्मती (Misfortune of village ) भी लाती है। बाढ़ का कहर देखते हुए पीढिय़ां गुजर गई पर शासन-प्रशासन ने कभी इनकी सुध नहीं ली। हर साल इन्हें अपने जलमग्न घरों को छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ती है। बेनीपट्टी प्रखंड के करहारा गांव बाढ़ के पानी से घिरकर टापू में (Village coneverted in island ) तब्दील हो गया है।

Jul 31, 2020 / 12:05 am

Yogendra Yogi

पीढिय़ां गुजर गई पर इस गांव का टापू में तब्दील होना बंद नहीं हुआ

पीढिय़ां गुजर गई पर इस गांव का टापू में तब्दील होना बंद नहीं हुआ

मधुबनी(बिहार): (Bihar News ) हर साल आने वाले बाढ़ अपने साथ इस गांव के लिए बदकिस्मती (Misfortune of village ) भी लाती है। बाढ़ का कहर देखते हुए पीढिय़ां गुजर गई पर शासन-प्रशासन ने कभी इनकी सुध नहीं ली। हर साल इन्हें अपने जलमग्न घरों को छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ती है। बेनीपट्टी प्रखंड के करहारा गांव बाढ़ के पानी से घिरकर टापू में (Village coneverted in island ) तब्दील हो गया है।

नाव के सहारे जिदगी

अधवारा समूह के धौंस, थुमहानी व डोरा नदी से घिरे करहारा गांव के लोगों के नाव के सहारे ही जिदगी कट रही है। धौंस नदी पर पुल नहीं रहने के कारण चार माह नाव व आठ माह चचरी पुल के सहारे जीवन जीने को विवश हैं। तीन नदियों के बीच में चारों ओर महराजी बांध से घिरे आठ हजार की आबादी वाले करहारा गांव बाढ़ के पानी से टापू में तब्दील होकर जिल्लत भरी जिदगी जी रहे हैं। तीन नदियों से घिरा हुआ यह गांव बाढ़ का दंश हर वर्ष झेलने को विवश है।

लाचार हो चुके हैं
बाढ़ के पानी ने टापू बने गांव के लोगों को लाचार व विवश बना दिया है। यातायात के साधन नहीं रहने के कारण आवश्यक कार्य पडऩे पर गांव से ही नाव पर सवार होकर लोग आधे व एक घंटे की दूरी तय कर सोईली चौक एवं मलहामोड़ पहुंच रहे हैं। बीमार एवं गर्भवती महिलाओं को नाव पर ही लाया जा रहा है। बाढ़ के दिनों यह गांव चारों ओर से पानी में घिरकर टापू बन जाता है। गांव से बाहर निकलने की कोई सड़क नहीं है। अन्य दिनों महराजी बांध के सहारे लोग गुजरते हैं जबकि बाढ़ के दिनों नाव के सहारे ही दिनचायाज़् करते हैं। हर वर्ष बाढ़ की दंश झेलने को विवश करहारा गांव के लोगों की आदत बन गई है।

आशियाना तहस-नहस
कुछ ऐसी ही वेदना बेनीपट्टी प्रखंड के बररी पंचायत के नवगाछी टोला के दर्जनों परिवारों की है। जिनके घर से पानी तो निकल गया है पर बाढ़ ने उनके अशियाना को तहस नहस कर नक्शा ही बदल दिया है। सब कुछ इस बाढ़ ने बर्बाद कर दिया है। अब तो भोजन पर भी आफत आ गई है। ध्वस्त घरों की मरम्मत कराना भी मुश्किल होगा। इन छोटे—छोटे बच्चों को लेकर जिंदगी काटना आसान नहीं। संगीता देवी व उनके परिजन अपने घरों की स्थिति देख बदहवास हो गये।

सड़क पर बसेरा
बररी पंचायत के धनुषी एवं नवगाछी के तीन दर्जन से अधिक परिवार बांध व सड़क पर शरण लिये हुए हैं। जिनके नसीब में हर वर्ष घुमंतु जीवन लिखा है। बांध पर पन्नी टांग कर अपने पशुओं के साथ रह रहे घनुषी गांव के दर्जनो पीडि़तों ने बताया कि हर वषज़् बाढ़ से तबाही का मंजर उन लोगों को झेलना पड़ता है। चंदर राय बताते हैं कि यहां एक पुल की जरूरत है। जिसके लिए गुहार लगाकर थक चुके हैं। एक नाव नहीं रहने से काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। बांध पर चौकी पर गैस से खाना बनाती मीना देवी बताती हैं कि बरसात होते ही वे लोग घर छोडऩे की तैयारी कर लेते हैं। जब कोई देखने वाला नहीं है तो अपनी सुरक्षा तो करनी होगी।

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