scriptझालावाड़ के डाक बंगले में दफन है जाबांज जिमी की दास्तां | International dog day : Dog Sacrificed His Life To Save His owner | Patrika News
कोटा

झालावाड़ के डाक बंगले में दफन है जाबांज जिमी की दास्तां

International Dog day : ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी को बचाने के लिए पैंथर से भिड़ गया था श्वान

कोटाAug 25, 2019 / 09:38 pm

Rajesh Tripathi

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कोटा। श्वानों की वफादारी की कई कहानियां और किवंदतियां आपने बॉलिवुड की फिल्मों में देखी होगी। लेकिन ऐसे ही जाबांज श्वान जिमी की कहानी प्रदेश के झालावाड़ के डाक बंगले में दफन है। ये दास्तां आजादी से पहले की है। साल था 1903, झालावाड़ रियासत होने के कारण अंग्रेज सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर ब्रिटिश अधिकारी इसी डाक बंगले में अपनी पत्नी के साथ रहते थे। डाक बंगले की रखवाली के लिए यहां जिमी (श्वान) तैनात था। एक रोज ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी टहलने के लिए डाक बंगले के बाहर गई हुई थी । तभी अचानक एक पैंथर ने महिला पर हमला कर दिया। वफादार जिमी महिला को बचाने के लिए खूंखार पैंथर से भिड़ गया । ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी तो जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर डाक बंगले में पहुंच गई, लेकिन पैंथर के हमले में जिमी की जान चली गई । जिमी की बहादुरी और वफादरी से ब्रिटिश दम्पति इतना प्रभावित हुए की उन्होंने डाक बंगले के परिसर में श्वान की समाधि बनवाई। ये समाधि आज भी इसी परिसर में मौजूद है। समाधि पर जिमी का नाम और घटना का साल इंगित है। कहा जाता है कि राजस्थान में ऐसी समाधि केवल यही पर मौजूद है। जिसे देखने के लिए सैलानी यहां आते हैं।

80 के दशक था आता था बजट
आजादी के बाद ब्रिटिश परिवार इंग्लैंड चला गया लेकिन डाक बंगले में मौजूद कर्मचारी बताते हैं कि 80 के दशक तक हर वर्ष लंदन से कुछ राशि इस समाधि की सार संभाल के लिए आती थी। लेकिन सरकार और सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा कोई राशि आवंटित नहीं करने की वजह से आज ये समाधि दुर्गति का शिकार हो रही है।
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