scriptशरद पूर्णिमा 31 अक्टूबर को, कार्तिक स्नान होंगे शुरू | KARTIK MONTH 2020 SHARAD PURNIMA KARTIK SNAN | Patrika News
जयपुर

शरद पूर्णिमा 31 अक्टूबर को, कार्तिक स्नान होंगे शुरू

भगवान विष्णु की आराधना का पवित्र मास कार्तिक (Kartik month) एक नवंबर से शुरू होगा। हालांकि इससे पहले 31 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल पूर्णिमा पर शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) से कार्तिक स्नान (Kartik Snan) शुरू होंगे, जो 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा तक रहेंगे। पूरे एक माह श्रद्धालु तांरों की छांव में स्नान कर मंदिरों में दीपदान करेंगे। वहीं शरद पूर्णिमा 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

जयपुरOct 29, 2020 / 10:00 pm

Girraj Sharma

शरद पूर्णिमा 31 अक्टूबर को, कार्तिक स्नान होंगे शुरू

शरद पूर्णिमा 31 अक्टूबर को, कार्तिक स्नान होंगे शुरू

शरद पूर्णिमा 31 अक्टूबर को, कार्तिक स्नान होंगे शुरू
— कार्तिक मास एक नवंबर से शुरू
— कार्तिक मास में होगा दान—पुण्य और दीपदान

जयपुर। भगवान विष्णु की आराधना का पवित्र मास कार्तिक (Kartik month) एक नवंबर से शुरू होगा। हालांकि इससे पहले 31 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल पूर्णिमा पर शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) से कार्तिक स्नान (Kartik Snan) शुरू होंगे, जो 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा तक रहेंगे। पूरे एक माह श्रद्धालु तांरों की छांव में स्नान कर मंदिरों में दीपदान करेंगे। वहीं शरद पूर्णिमा 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन ठाकुरजी को धवल पोशाक धारण करवाकर तारों की छांव में खीर का भोग लगाया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि कार्तिक स्नान आश्विन शुक्ल पूर्णिमा पर 31 अक्टूबर से शुरू हो जाएंगे। 30 नवंबर तक कार्तिक पूर्णिमा तक स्नान करेंगे। इस बार शरद पूर्णिमा भी 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 56 मिनट पर शुरू हो जाएगी, जो 31 अक्टूबर को रात 8 बजकर 19 तक रहेगी। शास्त्रों में प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा पर शरद पूर्णिमा मनाने का विधान है। हालांकि इस बार 30 और 31 अक्टूबर को दोनों ही दिन प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा है, लेकिन दूसरे दिन शरद पूर्णिमा मनाने का विधान है। ऐसे में शरद पूर्णिमा 31 अक्टूबर को मनाया जाना शास्त्र सम्मत है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि 31 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अगर अनुष्ठान किया जाए तो यह अवश्य सफल होता है। तीसरे पहर इस दिन व्रत कर हाथियों की आरती करने पर उतम फल मिलता है। इस दिन भगवान श्रीकृ्ष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था, इस दिन चन्द्रमा कि किरणों से अमृत वर्षा होती है, इसी के चलते इस दिन खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखकर अगले दिन सुबह उसे खाने का विधान है।
ज्योतिषाचार्य नरोत्तम पुजारी ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा में बहुत सारे रोग—प्रतिरोधक गुण होते है। ऐसा इसलिए क्यूंकि चन्द्रमा शरद पूर्णिमा के दिन धरती के सबसे नज़दीक होता है। इसीलिए शरद पूर्णिमा के रात को पोहा चावल खीर या अन्य कोई भी मिठाई को चन्द्रमा की चांदनी में रख दिया जाता है और फिर उसे सुबह खाया जाता है।
गोविंददेवजी दर्शनार्थियों के लिए बंद

कार्तिक स्नान 31 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा से शुरू होंगे, लेकिन इस बार शहर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर दर्शनार्थियों के लिए बंद रहेगा। गोविंददेवजी मंदिर भी भक्तों के लिए 30 नवंबर तक बंद है। शहर आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में 31 अक्टूबर से झांकियों के समय में परिवर्तन होगा। मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते 30 नवंबर तक दर्शनार्थियों के लिए मंदिर बंद रहेगा। सभी झांकियों का भक्त आॅनलाइन दर्शन करेंगे। शरद पूर्णिमा पर 31 अक्टूबर को रात 8 बजे से 8.15 बजे तक गोविंददेवजी के विशेष झांकी के दर्शन होंगे। ठाकुरजी को खीर भोग लगाया जाएगा।
गोविंददेवजी के कार्तिक में झांकियों का समय

झांकी — समय
मंगला आरती — सुबह 4.45 से सुबह 5.15 बजे तक
धूप आरती — सुबह 7.45 से सुबह 9 बजे तक
श्रृंगार आरती — सुबह 9.30 से सुबह 10.15 बजे तक
राजभोग आरती — सुबह 11 से सुबह 11.30 बजे तक
ग्वाल आरती — शाम 5.15 से शाम 5.45 बजे तक
संध्या आरती — शाम 6.15 से शाम 7.30 बजे तक
शयन आरती — रात 8.30 से रात 9 बजे तक
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