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आगरा

इन आख़िरी शब्दों से विदा ले गए ‘नीरज’

सुना कर गए घर का आंगन, आखिरी बार होश में आने पर लिखा था। जितना कम सामान रहेगा उतना सफर आसान रहेगा

आगराJul 20, 2018 / 10:44 am

अभिषेक सक्सेना

gopal das neeraj

gopal das neeraj

आगरा। जितना कम सामान रहेगा, उतना सफ़र आसान रहेगा। कुछ इन पक्तियों के साथ पद्मभूषण कवि गोपाल दास नीरज ने अपना सफर खत्म किया। मोहब्बत के शहर में अंतिम बार जब वे होश में आए थे तो उन्होंने कागज पर कुछ यही लिखा था। अपने बेटे से एक कागज मंगाया और उस पर लिखा कि मेरी चाबी कहां है! उनके बेटे अरस्तू ने जवाब दिया कि चाबी भी है और बैग भी। नीरज कुछ कहना चाहते थे, इससे पहले ही अरस्तु ने उनके हाथ को पकडा और कहा कि हाथ की अंगूठी भी मेरे पास है।
gopal das neeraj
कागज पर लिखकर पूछा जवाब
पद्मभूषण कवि नीरज ने अंतिम बार होश में आने पर एक कागज मंगाकर यही पक्तियां लिखी थीं। बेटे अरस्तू ने उन्हें बताया कि उन्हें एम्स ले जा रहे हैं तो कागज पर लिखा कि मैं ठीक हूं और घर ले चलो, एम्स जाने के लिए वे अंतिम समय तक मना करते रहे। आगरा में उनकी तबीयत में तेजी से सुधार हुआ था और वे पूरे होश में थे। एम्स के डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज लोटस हॉस्पिटल में चला था। यहां डॉक्टरों द्वारा 24 घंटे में उनकी टयूब् निकालनी थी, इसके बाद बोलने भी लगते, लेकिन एम्स के डॉक्टर आगे की जांच के लिए बुला रहे थे।
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सूना घर, सूना कमरा…
हिंदी साहित्य के प्राण पद्मभूषण से सम्मानित गोपालदास नीरज के निधन से आगरा में उनके प्रशंसक दुखी हैं। लोग उनके गीतों को याद कर रहे हैं।गोपालदास नीरज की पूंजी साहित्य की धरोहर हो गई है। कल्पना का अपार समंदर, प्रेम की पराकाष्ठा, जिंदगी जीना और मिसाल बन जाना, कारवां गुजर गया, और हम गुबार देख रहे हैं। महाकवि गोपालदास नीरज के जाते ही साहित्य के एक युग का पर्दा गिर चुका है।
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