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जो पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने नहीं किया, वह मोदी ने कर दिखाया!

भारत ने सीमा पार आतंकी कैम्पों पर हमला कर पाकिस्तान को साफ संदेश दे दिया है कि वह अब और आतंकी हमले बर्दाश्त नहीं करेगा

Sep 30, 2016 / 09:47 am

Rakesh Mishra

pm modi

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दिनेश मिश्र, नई दिल्ली। भारत ने सीमा पार आतंकी कैम्पों पर हमला कर पाकिस्तान को साफ संदेश दे दिया है कि वह अब और आतंकी हमले बर्दाश्त नहीं करेगा। कई विशेषज्ञों के मुताबिक, पहले पाक को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की रणनीति और अब सैन्य कार्रवाई इस ओर साफ इशारा करते हैं कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ बयानबाजी करने भर तक ही सीमित नहीं है। वह सैन्य कार्रवाई जैसे बड़े कदम भी उठा सकता है। उरी हमले के बाद देश में भी एक बौखलाहट थी। लोग सरकार से मुंहतोड़ जवाबी कार्रवाई की उम्मीद कर रहे थे।

रोज-रोज आतंकी हमले से जूझने वाली सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए भी इस तरह के एक ऑपरेशन की जरूरत थी। हालांकि भारत को यह भी अंदाजा है कि पाकिस्तान में भारत की इस कार्रवाई का जवाब देने का दबाव बढ़ जाएगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकेला पड़ता जा रहा पाक बौखलाहट में कोई भी गलत कदम उठा सकता है। माना जा रहा है कि पाक के जवाबी हमले की आशंका के मद्देनजर भारत ने पहले से ही अपनी तैयारी पुख्ता कर रखी है और तमाम पहलुओं पर विचार के बाद ही यह कदम उठाया गया है।

पाक का कोई भी कदम उसके खिलाफ
पाक मामलों के जानकार विवेक काटजू के अनुसार, इस कार्रवाई से भारत ने पाक के सामने लक्ष्मण रेखा खींच दी है। हो सकता है कि पाक बौखलाहट में कुछ कदम उठाए, मगर अब उसका कोई भी गड़बड़ कदम उसके खिलाफ जा सकता है। भारत ने सख्त कार्रवाई की भूमिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही तैयार कर ली थी।

जनता में भी बढ़ा विश्वास
पूर्व राजदूत नरेश चंद्रा कहते हैं कि इस तरह की कार्रवाई आम जनता और सेना के मनोबल के लिए भी जरूरी थी। सबसे बड़ी बात पाकिस्तान को आतंकवाद पर कूटनीतिक तरीके से अलग-थलग करने की भारत की रणनीति कामयाब रही। भारत की विदेश नीति में आतंकवाद बड़ा मुद्दा बन चुका है। हर मंच से भारत सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाता रहा है। हाल में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से भी इस मुद्दे को उठाया था, जिसमें पाक पीएम नवाज शरीफ को मुंह की खानी पड़ी है।

कूटनीतिक विरोध जता सकता है पाक
नरेश चंद्रा कहते हैं कि इस हमले के बाद पाक प्रतिक्रिया करेगा ही। उसे अपनी जनता को जवाब देना है। पाक सरकार अपनी साख बचाने के लिए अक्सर सेना और आईएसआई का दामन थामती रही है, क्योंकि वहां की सरकारें मजबूत स्थिति में नहीं रही हैं। सेना और खुफिया एजेंसी का वहां दबदबा रहा है। मगर, जैसा कि हमारी सेना कह रही है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में उन्हें पहले ही बता दिया गया था, इसलिए पाक आर्मी ज्यादा से ज्यादा इतना कर सकती है कि एलओसी पर फायरिंग करे। कूटनीतिक स्तर पर पाक विरोध भी दर्ज करा सकता है।

वाजपेयी से आगे निकले मोदी
बता दें कि इस फैसले ने प्रधानमंत्री मोदी को पोखरण-2 जैसा परमाणु परीक्षण करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी एक कदम आगे कर दिया। वह इस तरह, क्योंकि 2001 में संसद पर हमले के बाद वाजपेयी पर भी दबाव था कि वह पाकिस्तान को उसकी सीमा में घुसकर जवाब दें, लेकिन उन्होंने एलओसी को पार न करने का फैसला किया था। मोदी ने यह कर दिखाया। हालांकि एलओसी क्रॉस कर दुश्मन पर हमला करने का फैसला लेने के पीछे एक दिक्कत यह भी थी कि इससे बात बिगडऩे का डर था, लेकिन केंद्र सरकार इसके लिए तैयार थी

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