दुर्व्यवहार का लगाया आरोप
महामंदिर निवासी 56 वर्षीय प्रीति रेवाचंदानी ने अधिवक्ता विजेन्द्र पुरी के माध्यम से उपखंड अधिकारी (उत्तर) के समक्ष अर्जी देकर बताया कि पति के देहांत के बाद पुत्रवधु दुर्व्यवहार करती है। पुत्र भी पत्नी का साथ देते हुए बदसलूकी करता है। पुत्र ने न्यायालय में जवाब दिया कि सास बहू के रोज के झगड़े में वह स्वयं भी परेशान हो गया है। पत्नी के गलत व्यवहार को स्वीकार करते हुए माता का भरण पोषण करने का आश्वासन दिया। न्यायलय ने प्रार्थना पत्र स्वीकार कर पुत्र और बहू को मकान खाली करने और मां को भरण पोषण के लिए प्रति माह तीन हजार रुपए देने का आदेश दिया।
भरण पोषण नहीं करना अपराध
वर्ष 2007 में भारत सरकार ने माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम पारित किया था। इसके तहत अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक जो अपने आय अथवा अपनी संपत्ति से होने वाली आय से अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हैं, वे अपने वयस्क बच्चों अथवा संबंधितों से भरण पोषण प्राप्त करने के अधिकारी होंगे। अभिभावक में सगे और दत्तक माता-पिता और सौतेले माता-पिता सम्मिलित हैं। वरिष्ठ नागरिक जो 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के है, वह अपने संबधितों से भी भरणपोषण की मांग कर सकते हैं, जिनका उनकी सम्पत्ति पर स्वामित्व है अथवा जो उनकी संपत्ति के उत्तराधिकारी हो सकते हैं। माता पिता व वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा, परित्याग या भरण पोषण नहीं करना अपराध है, साबित होने पर तीन माह की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।