scriptचार्ल्स में रणदीप फिट, फिल्म का प्रजेंटेशन अनफिट | Randeep fit in Charles but film presentation unfit | Patrika News
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चार्ल्स में रणदीप फिट, फिल्म का प्रजेंटेशन अनफिट

रामगोपाल वर्मा की फैक्ट्री से निकले प्रवाल रमन ने डरना मना हैÓ,गायबÓ,
डरना जरूरी हैÓ जैसी फिल्में निर्देशित की हैं, लेकिन इनमें से कोई भी
बॉक्सऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब नहीं रही। अब वे कुख्यात
अपराधी चालर्स शोभराज के जीवन के अहम हिस्सों पर आधारित मैं और चाल्र्सÓ
लेकर आए हैं। टाइटल रोल में रणदीप हुडा हैं, जिन्होंने अपने अभिनय,
एक्सप्रेशन और डायलॉग बोलने के अंदाज से सिल्वर स्क्रीन पर चाल्र्स को
बखूबी जिया है।

Oct 30, 2015 / 09:21 pm

abhishek

रामगोपाल वर्मा की फैक्ट्री से निकले प्रवाल रमन ने डरना मना हैÓ,गायबÓ, डरना जरूरी हैÓ जैसी फिल्में निर्देशित की हैं, लेकिन इनमें से कोई भी बॉक्सऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब नहीं रही। अब वे कुख्यात अपराधी चालर्स शोभराज के जीवन के अहम हिस्सों पर आधारित मैं और चाल्र्सÓ लेकर आए हैं। टाइटल रोल में रणदीप हुडा हैं, जिन्होंने अपने अभिनय, एक्सप्रेशन और डायलॉग बोलने के अंदाज से सिल्वर स्क्रीन पर चाल्र्स को बखूबी जिया है।

फिल्म की कहानी अस्सी के दशक के पुलिस ऑफिसर अमोद कांत के पॉइंट ऑफ व्यू से कही गई है। इसमें दिखाया है कि बिकिनी किलरÓ कहे जाने वाला चाल्र्स किस तरह पुलिसकर्मियों को धोखा देकर जेल से भाग जाता है और इस पूरे घटनाक्रम के पीछे माजरा क्या होता है। फिक्शनल डॉक्यू-ड्रामा स्टाइल में बनाई गई फिल्म के स्क्रीनप्ले में कसावट की कमी है, इसीलिए घटनाओं और उनके संयोजन में बिखराव महसूस होता है।
रणदीप ने कॉन-मैन और सीरियल किलर चाल्र्स के किरदार के लिए अपने लुक, स्टाइल और एक्सेंट पर काफी मेहनत की है। दूसरी ओर, पुलिस ऑफिसर अमोद कांत की भूमिका में आदिल हुसैन ब्रिलिएंट हैं। उनका सहज अभिनय प्रभावित करता है। प्रवाल ने चाल्र्स और अमोद के कैरेक्टर को खूबसूरती से क्राट किया है, लेकिन ढीली स्क्रिप्ट और बेतरतीब निर्देशन के कारण फिल्म असरदार नहीं बन पाई।

चाल्र्स की लवर और लॉ स्टूडेंट मीरा शर्मा के रोल में ऋचा चड्ढा फिट हैं, वहीं मराठी एक्टर नंदू माधव छोटे-से रोल में एक्सीलेंट लगे हैं। टिस्का चोपड़ा, एलेक्स ओÓनील और अन्य सपोर्टिंग एक्टर्स का काम सराहनीय है। मूवी में क्राइम, सैक्स, ड्रग्स और कॉन जैसे एलिमेंट्स हैं, ऐसे में म्यूजिक भी उसी फ्लेवर का है, लेकिन बेअसर। बैकग्राउंड स्कोर और स्लो स्पीड इरिटेट करते हैं और उबासी आने लगती है। एडिटिंग की काफी गुंजाइश है। आइडिया और प्लॉट के लिहाज से डायलॉग भी दमदार नहीं हैं। फिल्मांकन आकर्षक है। बहरहाल, कलाकारों के उम्दा अभिनय के लिए देख सकते हैं मैं और चाल्र्सÓ।

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