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शाहडोल

मौत के बाद भी जिंदा बताकर पैसा वसूलने वाले देवांता अस्पताल का पंजीयन निरस्त

रिपोर्ट में कहा- पंजीयन के वक्त पात्रता थी या नहीं, इसकी भी कराएं जांच

शाहडोलOct 31, 2021 / 12:22 pm

amaresh singh

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aatmanirbhar

शहडोल. मौत के बाद भी मरीज को जिंदा बताकर अस्पताल में रखकर इलाज के नाम पर पैसा वसूलने के मामले में सुर्खियों में रहे देवांता अस्पताल का पंजीयन निरस्त किया गया है। अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा के नेतृत्व में जांच टीम ने अंतिम रिपोर्ट देने के बाद ये कार्रवाई की है। अस्पताल प्रबंधन और आरोपियों ने कार्रवाई को गलत ठहराते हुए जांच की मांग की थी। बाद में सीएमएचओ ने बिंदुवार तर्क देते हुए रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपी। जिसके बाद जांच में बड़े स्तर पर देवांता अस्पताल में खामियां मिलने पर पंजीयन निरस्त की कार्रवाई की है। सीएमएचओ डॉ एमएस सागर ने अंतिम रिपोर्ट में ये भी कहा है कि देवांता अस्पताल के पंजीयन की भी जांच कराई जाए। पूर्व में पंजीयन के वक्त पात्रता थी या नहीं, इसकी भी जांच कराई जाएगी। इधर फरार देवांता अस्पताल प्रबंधक और डॉक्टर की अब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। डॉ बीके त्रिपाठी और डॉ बृजेश पांडेय अभी भी फरार चल रहे हैं।


जिन डॉक्टरों के आधार पर मिली अनुमति, वे ही नहीं मिले
देवांता अस्पताल को पंजीयन देते समय जिस स्टाफ की सूची संलग्न की गई थी, उसमें से अधिकांश डॉक्टर वर्तमान में नहीं मिले हैं। अधिकारियों ने साफ कहा है कि यदि स्टाफ बदलाव किया गया था तो इसकी जानकारी सीएमएचओ कार्यालय को देनी चाहिए थी लेकिन देवांता अस्पताल प्रबंधन ने कोई जानकार नहीं दी। अस्पताल का पंजीयन करते समय पात्रता थी या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए।
एटीएम और पैरामेडिकल दस्तावेजों की अटकी जांच जांच टीम ने अंतिम रिपोर्ट में कहा है कि देवांता अस्पताल में कई संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। पत्रिका पूर्व में ही इसका खुलासा किया था।
अस्पताल में एटीएम और पैरामेडिकल दस्तावेज मिले थे। इसमें छात्रवृत्ति से मामला जुड़ रहा था। अधिकारियों ने पत्राचार भी किया लेकिन मामले में कार्रवाई अटकी हुई है।
ये था मामला
संतोष कुमार राठौर निवासी चोरभटठी अनूपपुर ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि देवांता अस्पताल के प्रबंधक डॉ बीके त्रिपाठी और डॉ बृजेश पांडेय द्वारा पत्नी का सही उपचार नहीं किया गया है। पीडि़त के अनुसार, भय दिखाकर पैसे ले लिए और पत्नी की मौत के बाद भी मुझे जानकारी नहीं देकर कई कोरे कागजों में दस्तखत कराए जा रहे थे। इस दौरान कई बार धोखाधड़ी कर कई बार पैसे भी लिए गए। जब महिला की मौत हो गई, तब भी जानकारी नहीं दी गई थी।

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