ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय भगवत भजन-कीर्तन, इष्ट मंत्र, गुरु मंत्र, आदित्य हृदय स्त्रोत, सूर्य देवता के मंत्र, का जाप करना चाहिए. ग्रहण के बाद दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। ग्रहण के सूतक पूर्व खाद्य पदार्थों में तुलसी व कुशा रखने का विधान है। ग्रहण के बाद इन्हें निकाल दें।
सूतक और ग्रहण काल में अनावश्यक खाना-पीना, निद्रा, तेल मर्दन वर्जित है। झूठ-कपट आदि वृथा अलाप, नाखून और बाल काटने आदि से परहेज करना चाहिए। ग्रहण काल के समय कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बालक एवं गर्भवती स्त्रियों को यथा अनुकूल भोजन या दवाई आदि लेने में कोई दोष नहीं है। इस दौरान भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करें। बल्कि घर में पूजा के मंदिर पर पर्दा कर देना चाहिए, ताकि ग्रहण की छाया नहीं दिखे।
ग्रहण खत्म होने के बाद पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। फिर पूरे घर में गंगाजल का छिडक़ाव करके भगवान का स्नान करा कर पूजा-पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि ग्रहण के बाद दान पुण्य करने से ग्रहण के दुष्प्रभाव नहीं पड़ते।
भारत के अलावा पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई, इथोपिया और कांगों में सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा। भारत में इसे देहरादून, सिरसा और टिहरी में वलयाकार सूर्य ग्रहण नजर आएगा, जबकि दिल्ली एनसीआर सहित देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक नजर आएगा।
पौराणिक समय में मान्यता रही है कि सूर्य ग्रहण अथवा चंद्र ग्रहण या किसी भी प्रकार के ग्रहण को देखना नहीं चाहिए। इसके पीछे वजह बताई जाती है कि ग्रहण के दौरान देवताओं पर संकट रहता है, इसलिए इसे देखना नहीं चाहिए। हालांकि वैज्ञानिकों कहना है कि सूर्य ग्रहण को देख सकते हैं लेकिन इसको देखने के लिए सोलर फिल्टर चश्मे या फिर टेलीस्कोप अथवा एल्युमिनेटेड मायलर, ब्लैक पॉलिमर का प्रयोग कर सकते हैं।