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सौर ऊर्जा के उपयोग के प्रति लापरवाही क्यों!

सौर ऊर्जा के उपयोग के प्रति लापरवाही क्यों!

सिरोहीAug 09, 2018 / 10:07 am

mahesh parbat

sirohi

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त्रिलोक शर्मा
सिरोही. तपिश से तकदीर बनाने में सरकार तकरीबन विफल ही साबित हुई है। वर्तमान में निजी क्षेत्र में सौर ऊर्जा का बड़े पैमाने पर उपयोग होने लगा है लेकिन सरकारी योजनाएं लाभदायक होने के बावजूद सफल नहीं हो पा रही हैं। प्रारंभ से ही इंसान सूर्य की ऊर्जा दैनिक इस्तेमाल में ला रहा है। हालांकि ऊर्जा के रूपांतरण व भरपूर संचय में सफलता कुछ वर्ष पूर्व मिली। ऊर्जा संचय में बड़े व्यय के अलावा इस्तेमाल में लाने के लिहाज से शुल्क भुगतान नहीं करना होता है। अनुदान मिलने के बावजूद लोग, खासकर ग्रामीण और किसान आगे आने से कतरा रहे हैं। इनके विफल होने के कारणों पर मंथन क्यों नहीं किया जा रहा है? क्या सिर्फ घोषणा कर वाहवाही लूटना ही सरकार का मकसद था?
सिरोही के पास जूना सानवाड़ा में फ्लोराइडमुक्त पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए सौर ऊर्जा चलित पनघट योजना छह माह से बंद है। सौर ऊर्जा से संचालित रोडलाइटें भी खराब हो गई हैं। इनकी सार-संभाल के प्रति जिम्मेदार फर्म सरकारी दबाव नहीं होने से ध्यान नहीं दे रही है। ये हालात जिले में सभी गांवों में हैं। किसानों के लिए सोलर पम्प परियोजना भी सफल नहीं हो पाई। हालांकि सरकार इस क्षेत्र में देश में प्रथम रहने का दावा कर रही है। पानी फेंकने की कम क्षमता के कारण इसे नकार दिया गया। अब आम बजट २०१८ में भी सोलर पम्प को प्रोत्साहन के लिए घोषणा की गई थी। इसका भविष्य समय ही बताएगा। गांवों के सार्वजनिक विद्युतीकरण के हालात जगजाहिर हंै। पंचायतों में योजनाओं के तहत लगाई सोलर लाइटें शोभा की वस्तु बनकर रह गईं। किसी का बल्ब फ्यूज है तो अधिकांश की बैट्री खराब हो गई है। किसी भी स्तर से बैट्री की खोज नहीं की जा रही है। राज्य सरकार की ओर से आबूरोड तहसील की ग्राम पंचायतों के अटल सेवा केन्द्रों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए। २०१२ में ओरिया केन्द्र को छोड़कर चौबीस संयंत्र लगे। इसमें प्रत्येक पर करीब ३.१३ लाख की लागत आई। केवल खड़ात व एक अन्य पंचायत में संयंत्र चालू हैं। शेष अब धूल फांक रहे हैं और उद्देश्य भी पूरा नहीं हो रहा है। शिकायत के बाद भी मरम्मत नहीं हो रही। बिजली आपूर्ति बंद होने पर कामकाज भी ठप हो जाता है। बड़े सोलर प्लांट की स्थापना के बाद शहरों एवं गांवों में भी सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन योजना को मंजूरी दी गई। कारखानों, अस्पतालों, नर्सिंग होम, होटल, सरकारी संगठनों, वाणिज्यिक संगठनों के लिए योजनाएं भी सफल नहीं हो पाईं।
समय की नजाकत को देखते हुए सरकार को अब मात्र घोषणा तक ही सीमित नहीं रहना होगा। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए प्रभावी मॉनिटरिंग व्यवस्था विकसित करनी होगी। योजनाओं की विफलता पर मंथन कर कमी दूर करने की दिशा में काम करना होगा।

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