scriptबाल विवाह में आई गिरावट से मां बनने की औसत आयु बढ़ी | The average age of becoming a mother increased due to the decline in child marriage. Nagaur on a new path: | Patrika News
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बाल विवाह में आई गिरावट से मां बनने की औसत आयु बढ़ी

बढ़ती शिक्षा के साथ जागरूकता ने नागौर (डीडवाना-कुचामन) में मां बनने की औसत आयु में करीब तीन साल का इजाफा किया है।

नागौरMay 08, 2024 / 08:38 pm

Sandeep Pandey

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नागौर. बढ़ती शिक्षा के साथ जागरूकता ने नागौर (डीडवाना-कुचामन) में मां बनने की औसत आयु में करीब तीन साल का इजाफा किया है। अब यहां मां बनने की औसत उम्र करीब 23 साल तक पहुंच गई है। बाल विवाह में आई गिरावट हो या सरकारी योजना के साथ घर-घर में आई समझदारी से यह बदलाव हो पाया है। करीब दस साल पहले यह आयु बीस वर्ष के आसपास थी।
सूत्रों के अनुसार ऐसा भी नहीं है कि बाल विवाह पूरी तरह खत्म हो गए या फिर किशोरावस्था में बालिका वधु बच्चे नहीं पैदा कर रहीं, पर इनकी संख्या में लगभग अस्सी फीसदी की गिरावट आई है। जिले कुछ गांव में अब भी चोरी-छिपे बाल-विवाह जारी है। प्रशासन के कड़े इंतजाम के बाद भी यहां आखा तीज जैसे कुछ अबूझ सावे में बाल-विवाह हो जाते हैं। हालांकि वर्ष 2015-16 के मुकाबले वर्ष 2021 से अब तक यानी तीन साल में सरकारी रेकॉर्ड में सिर्फ 57 मामले बाल विवाह के सामने आ पाए। इनमें से कुछ ही रुक पाए, यहां उन विवाहों की गिनती का पता नहीं जो छिपते-छिपाते हो गए। सूत्र बताते हैं कि बाल विवाह पर लगे अंकुश के बाद शिक्षा की जागरूकता से परिजनों ने बालिका की शादी 18 बरस में ही करने पर जोर देना शुरू कर दिया। वैसे तो केन्द्र सरकार युवती के विवाह की उम्र भी 21 साल करने की कवायद कर चुकी है पर पिछले कुछ साल से शादी के साथ मां बनने की उम्र भी बढऩे लगी। सेहत का ध्यान रखते हुए बच्चों के बीच पूरा अंतराल रखने में भी अधिकांश मां सफल हो रही हैं।
सेहत के साथ परवरिश को लेकर भी गंभीर: डॉ व्यास
जेएलएन अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ दीपिका व्यास का कहना था कि पिछले दस-बारह साल में काफी बदलाव आया है। शिक्षा बढ़ी तो शादी की उम्र भी बढ़ा दी गई। अब सामान्यतया लड़की की शादी बीस-इक्कीस साल की आयु में हो रही है। बढ़ती जागरूकता की वजह से ही पहला बच्चा भी विवाह के तीन साल बाद हो रहा है। बच्चों में तीन साल का अंतराल भी रख रही हैं। परिवार का अनावश्यक दबाव खत्म हो गया है, खुद के साथ बच्चे की सेहत को आज की मां प्राथमिकता देती है। बेहतर परवरिश के लिए कई तो ङ्क्षसगल चाइल्ड को तरजीह देने लगी है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार करीब तीन साल में नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले में 83 हजार 109 बच्चे पैदा हुए। वर्ष 2021-22 में 12 हजार 225 बालक तो 12 हजार 226 बालिका, वर्ष 2022-23 में 14 हजार 698 बालक तो 14 हजार 639 बालिका और वर्ष 2023 में 14 हजार 794 बालक तो 14 हजार 204 बालिका ने जन्म लिया। इन तीन साल में हुई डिलेवरी में केवल 1079 मामले ऐसे थे जिनमें बच्चा जनने वाली मां की उम्र 18 साल के आसपास थी। पहला बच्चा पैदा करने वाली कोई 27 तो कोई 34 तक भी रहीं।
इसलिए भी आया बदलाव: सीएमएचओ
नागौर सीएमएचओ डॉ. राकेश कुमावत ने बताया कि युवती/महिलाएं अपने साथ बच्चे व परिवार की सेहत के लिए भी गंभीर हुई हैं। शिक्षा-जागरूकता के साथ सरकारी योजनाओं ने भी महिला/युवती को बेहतर बदलाव की ओर मोड़ा है। शादी के तीन साल बाद बच्चा या दूसरे बच्चे में तीन साल के अंतराल पर सरकार की ओर से पांच-पांच सौ रुपए प्रोत्साहन देने की योजना है। इसके अलावा सरकारी अस्पताल में होने वाली डिलेवरी (कन्या) पर विशेष प्रोत्साहन राशि समेत अन्य कई योजनाओं से परिवर्तन आया है।
अब नहीं
समझाना पड़ता…

इस संबंध में कुछ कामकाजी महिलाओं से बात होने पर उन्होंने भी बदलाव की प्रशंसा की। उनका कहना था कि बढ़ते प्रचार साधन, बढ़ी समझदारी और जिम्मेदारी से हर घर की बेटी/बहू अब पुराने सिस्टम को बदलना चाहती है। पहले ससुराल के दबाव में बच्चे जल्दी पैदा करने को तैयार हो जाती थीं, ना ही सेहत अथवा अन्य पर खुलकर बात करती थीं। पढ़े-लिखी होने के बाद अब वो अच्छा-बुरा समझने लगीं हैं, आवश्यकता पडऩे पर सही को सही ठहराने की हिम्मत भी करने लगीं। ऐसे में वे हर क्षेत्र में वो मजबूत होने लगीं।

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