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सागर

अनदेखी से बाघ-बाघिन पर मुसीबत का खतरा, इस तरह लापरवाह है वन अमला

बाघ-बाघिन और हाथी-हथिनी आने के बाद भी वन विभाग अब तक नहीं कर सका डॉक्टर्स की व्यवस्था

सागरAug 10, 2018 / 09:59 am

sunil lakhera

Tiger tigress trouble hazard Not checked up

Tiger tigress trouble hazard Not checked up

सागर. जिले में भले ही वन विभाग तमाम बड़ी उपलब्धियां हासिल करता जा रहा हो, लेकिन वन्यप्राणियों को लेकर विभाग के अधिकारी बिल्कुल भी संजीदा नजर नहीं आ रहे हैं। विभाग के पास आज तक की स्थिति में एक भी डॉक्टर्स नहीं है जो घायल व बीमार हुए वन्यप्राणियों का इलाज कर सके। विभाग के अधिकारियों की यह अनदेखी किसी दिन नौरादेही अभयारणय के राधा-किशन (बाघ-बाघिन) के लिए बढ़ी मुसीबत पैदा कर सकता है। इसके बावजूद भी जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान अब तक इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की तरफ नहीं जा रहा है। वन विभाग के पास कोई अपना डॉक्टर न होने के कारण वह पूरी तरह से पशुपालन विभाग में कार्यरत डॉक्टर्स के भरोसे हैं। जिले में यदि कभी एेसा समय आता है कि कोई वन्यप्राणी घायल हुआ है या बीमार हुआ है तो उसका इलाज बिटनेरी डॉक्टर ही आकर करता है। कई बार एेसा भी देखा गया है कि डॉक्टर्स के आने में हुए बिलंब के कारण घायल वन्यप्राणियों की इलाज के अभाव में मौत हो जाती है। जिसमें बाघ, हांथी, तेंदुआ, नीलगाय, चीतल, हिरन सहित दर्जनों प्रकार की प्रजातियां इन वनक्षेत्रों में है।
हजारों वन्यप्राणी हैं जिले में
जिले में उत्तर मंडल, दक्षिण मंडल व नौरादेही को मिलाकर देखा जाए तो करीब जिले का ३० प्रतिशत क्षेत्र वनक्षेत्र है, यानी करीब चार हजार वर्ग किलोमीटर में वन फैले हैं। यहां पर हजारों की तादात में वन्यप्राणी भी है। जिसमें बाघ, हांथी, तेंदुआ, नीलगाय, चीतल, हिरन सहित दर्जनों प्रकार की प्रजातियां इन वनक्षेत्रों में है।
यह सही बात है कि वन विभाग का अपना कोई डॉक्टर्स नहीं है, लेकिन जो बेटनरी डॉक्टर्स हैं उन्हें समय-सयम पर टाइगर रिजर्व में भेजकर प्रशिक्षण दियाला जाता है। दवाएं सभी की लगभग एक ही होती हैं, जरूरी सावधानियों को लेकर विभाग अपनी ओर से प्रशिक्षण दिलाता है। – विकास करण वर्मा, मुख्य वन संरक्षक

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