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दुती चंद ने कॉमनवेल्थ गेम्स में थामा LGBTQIA+ का झंडा, कभी पुरुष होने का लगा था आरोप

CWG 2022: दुती ने अपने संघर्ष के बारे में बात करते हुए एक बार कहा था कि उनके परिवार ने गरीबी की वजह काफी कुछ झेला है। इस कारण उनके भाई-बहनों की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी, लेकिन उनके खेल में आने के बाद काफी कुछ बदला है।

Jul 31, 2022 / 06:06 pm

Siddharth Rai

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Commonwealth Games 2022 dutee chand: बर्मिंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय महिला एथलीट दुती चंद LGBTQIA+ का झंडा उठाती नज़र आई। फर्राटा धाविका दुती चंद कॉमनवेल्थ गेम्स में 4×100 मीटर रिले में हिस्सा लेंगी। समलैंगिक लोगों के प्रति घृणा की निंदा करते हुए दुती चंद ने कहा कि ‘एलजीबीटी’ लोगों को बिना किसी उत्पीड़न के भय के जीने देना चाहिए। दुती देश की पहली खिलाड़ी हैं, जिन्होंने खुले तौर पर समलैंगिक होने की बात स्वीकार की है।

दुती को समलैंगिक होने की बात स्वीकार करने के बाद कई तरह की आलोचना और परिवार के बुरे वरताव का सामना करना पड़ा है। दुती ने कहा कि एलजीबीटी खिलाड़ियों को सुरक्षित और सहज महसूस कराया जाना चाहिए, उन्हें उत्पीड़न या मौत का कोई भय नहीं होना चाहिए, उन्हें सामान्य रहने देना चाहिए। दुती गरीब परिवार से निकली एक महिला एथलीट, जिस पर पुरुष होने का आरोप लगा था जिसके बाद उन्हें बैन भी किया गया था।

दुती चंद बेहद गरीब परिवार से आती हैं। उनका जन्म ब्लो पोवर्टी लाइन परिवार में हुआ था। उनके पिता एक बुनकर थे और रोजाना 10 से 20 रुपए की उनकी आमदनी थी। इस पर से उनका परिवार काफी बड़ा था। मां-पिता समेत कुल नौ लोग इस परिवार के सदस्य थे। दुती का एक भाई और 6 बहने हैं। इन सारे लोगों का खर्च चलाना उनके पिता के लिए भारी पड़ता था। इसके बावजूद दुती ने महज 4 साल की उम्र में दौड़ना शुरू कर दिया था। शुरुआत में वह नदी किनारे नंगे पांव दौड़ा करती थीं। तब उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अपने लिए जूते खरीद पाती। इसके बावजूद उनके जज्बे में कोई कमी नहीं आई।

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दुती ने अपने संघर्ष के बारे में बात करते हुए एक बार कहा था कि उनके परिवार ने गरीबी की वजह काफी कुछ झेला है। इस कारण उनके भाई-बहनों की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी, लेकिन उनके खेल में आने के बाद काफी कुछ बदला है। दुती का गांव भी ऐसा है, जहां अक्सर बाढ़ आ जाता है और बाढ़ आने के बाद वह मुख्य धारा से पूरी तरह कट जाता है। एथलेटिक्स में अपनी पहचान बनाने के बाद भी दुती की परेशानियां कम नहीं हुईं। 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स से मात्र तीन दिन पहले उन्हें इस आरोप में निलंबित कर दिया गया कि वह लड़की नहीं है। इस वजह से वह कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाईं थी।

आईएएएफ की हाइपर एंड्रोजीनिज्म नीति के तहत उन्हें निलंबित किया गया था। आईएएफ के अनुसार, उनके स्वास्थ्य जांच में यह पता चला था कि उनके शरीर में निर्धारित स्तर से कहीं अधिक मात्रा में पुरुषों में पाया जाने वाला हार्मोन है। इसके बाद दुती ने आईएएफ की हाइपर एंड्रोजीनिज्म नीति को सीएएस में चुनौती दी। उनकी इस लड़ाई में भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (AFI) ने भी काफी मदद की। महासंघ की मदद से उन्होंने एक लंबी लड़ाई जीतकर एथलेटिक्‍स ट्रैक पर वापसी की।

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दुती चंद अपनी बड़ी बहन सरस्वती को अपना आदर्श मानती हैं। बता दें कि सरस्वती खुद भी एक एथलीट थीं और वह खुद दुती को प्रैक्टिस कराती थीं। इसके अलावा जब दुती चंद के निलंबन झेल रही थीं, तब बैडमिंटन के महान खिलाड़ी और कोच गोपीचंद ने उनकी काफी मदद की थी। निलंबन के दौरान गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी ने दुती चंद के अभ्यास का सारा खर्च उठाया था।

क्या है LGBTQ –
समलैंगिकों को आम बोलचाल की भाषा में एलजीबीटी (LGBT) यानी लेस्ब‍ियन (LESBIAN ), गे(GAY), बाईसेक्सुअल (BISEXUAL) और ट्रांसजेंडर (TRANSGENDER) कहते हैं। वहीं कई और दूसरे वर्गों को जोड़कर इसे क्व‍ियर (Queer) समुदाय का नाम दिया गया है। इसलिए इसे LGBTQ भी कहा जाता है।

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