उषा ने अपने कोच के साथ फोटो का कोलाज पोस्ट कर ट्वीट किया, मेरे कोच, मेरे गुरु और मेरा मार्गदर्शन करने वाले का जाना मेरे जीवन को वो खालीपन छोड़ गया, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता। मेरे जीवन में उनका क्या योगदान रहा है, इसे शब्दों से बयां नहीं किया जा सकता। आपको बहुत मिस करूंगी नांबियार सर।
नांबियार ही थे, जिन्होंने उषा को 1984 ओलंपिक से कुछ महीने पहले 400 मीटर हर्डल चुनने की सलाह दी थी। उनका मानना था कि उषा इसमें पदक जीत सकती हैं। लेकिन वह काफी कम अंतर से कांस्य पदक लाने से चूक गई थीं। नांबियार को इस साल पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ ने नांबियार के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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बता दें कि ओपी नंबियार की कोचिंग में ही पीटी उषा देश की शीर्ष एथलीट बनीं। 1985 में जब पहली बार द्रोणाचार्य अवॉर्ड शुरू किया गया था, तब नंबियार और दो अन्य कोचों को इससे सम्मानित किया गया था। उन्हें खेलों में उनके योगदान के लिए 2021 यानी इसी साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।