एशियाई नौकायन महासंघ के अध्यक्ष मानव श्राफ का कहना है कि यह पहली है जब किसी भारतीय नौका चालक ने ‘क्वालीफायर’ में पहला स्थान प्राप्त कर सीधे ओलंपिक का टिकट हासिल किया हो। इससे पहले नौ पुरुष ओलंपिक नौका चालकों को ओलंपिक ड्रॉ में स्थान नहीं भर पाने के कारण भाग लेने का मौका दिया गया। वहीं नेत्रा का कहना है कि यह उनका पहला ओलंपिक है और वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगी। साथ ही उन्हें उम्मीद है कि यह ओलंपिक उनके लिए आगे के रास्ते खोलेगा।
नौकायान से पहले नेत्रा कई खेलों में हाथ आजमा चुकी हैं। 12 साल की उम्र तक उनकी दिलचस्पी टेनिस, साइकिल दौड़ और बास्केटबॉल जैसे खेलों में थी। हालांकि नौकायन से जुड़ने के बाद उनकी जिंदगी में परिवर्तन आया और उन्होंने अपनी मंजिल बदल ली। इसके बाद उन्होंने नौकायान की ओर अपना पूरा ध्यान लगा दिय। उन्होंने साल 2014 और 2018 के एशियाई खेलों में भाग लिया। नेत्रा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती है। उनका कहना है कि वह आज जो कुछ भी हैं, अपने माता-पिता के कारण ही हैं।
नेत्रा का कहना है कि माता-पिता ने हमेषा उनका भावनात्मक और आर्थिक रूप से साथ दिया। नेत्रा का कहना है कि खासतौर पर उनके पिता ने हर कदम पर उनका साथ दिया। साथ ही उनका कहना है कि पिता ने हमेषा उनका समर्थन किया है और इसके लिए माता-पिता को आभार व्यक्त करना बहुत छोटी चीज है। साथ ही नेत्रा का कहना है कि टोक्यो ओलंपिक साल 2024 में पेरिस में शीर्ष खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की ओर उनका पहला कदम है।