क्या है सरकार की ओलंपिक पोडियम स्कीम सवाल का जवाब देते हुए अनुराग ठाकुर ने बताया कि ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए खेल मंत्रालय ने सितंबर 2014 में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) शुरू की थी। इसके साथ ही अप्रैल 2018 में इस स्कीम में थोड़ा बदलाव भी किया गया, इस स्कीम के तहत कोर ग्रुप में चुने गए एथलीटों को हर महीने 50 हजार रुपए और डेवलपमेंट ग्रुप को 25 हजार रुपए का भत्ता दिया जाता है। फिलहाल, कोर ग्रुप में 162 एथलीट, हॉकी टीम (महिला-पुरुष) और डेवलपमेंट ग्रुप में 254 एथलीटों को शामिल किया गया है।
खिलाड़ियों को मिलती हैं ये सुविधाएं खेल मंत्री के मुताबिक, इस स्कीम के तहत खिलाड़ियों को टॉप कोच से कोचिंग, खेल से जुड़े इक्विपमेंट खरीदने में मदद की जाती है। वहीं पेरिस, टोक्यो और लॉस एंजिल्स में होने वाले ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में भाग लेने के लिए भी आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जाती है। इसके अलावा खिलाड़ियों को सपोर्ट स्टाफ जैसे फिजियोथेरेपिस्ट और फिजिकल ट्रेनर्स भी दिए जाते हैं। ताकि अभ्यास के दौरान उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो।
स्कीम में अब तक कितना खर्च अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस स्कीम के तहत सरकार ने 2018-19, 2019-20 और 2020-21 में क्रमश: 14.31, 12.41 और 15.65 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं। अगर वित्त वर्ष 2021-22 की बात करें तो 4 अगस्त तक स्कीम के तहत 12.48 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके साथ ही सरकार ने मिशन ओलंपिक सेल (MOC) का भी गठन किया है, जो स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के अंतर्गत काम करती है। इस सेल का काम TOPS के तहत चुने गए एथलीट की पहचान करना और उन्हें सपोर्ट करना है।
अनुराग ठाकुर ने बताया कि सरकार अपनी नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (NSF) को सहायता की स्कीम के जरिए ओलंपिक, एशियन और कॉमनवेल्थ जैसे खेलों की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों को मदद देती है। इस स्कीम के तहत सरकार ट्रेनिंग कैम्प्स आयोजित करने के लिए फंड देती है। उन्होंने बताया कि इस स्कीम के तहत तहत 2018-19 में 244 करोड़ रुपए, 2019-20 में 301 करोड़ रुपए, 2020-21 में 152 करोड़ और 2021-22 में 4 अगस्त तक 20 करोड़ रुपए से ज्यादा दिए जा चुके हैं।
खेलो इंडिया से 3 हजार खिलाड़ियों की सहायता खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने आगे कहा कि खेलो इंडिया स्कीम के तहत सरकार 3 हजार खिलाड़ियों की सहायता कर रही है। इसके तहत एथलीटों को हर साल 6.28 लाख रुपए की सहायता दी जाती है, जिसमें ट्रेनिंग सपोर्ट के अलावा 10 हजार रुपए हर महीने का भत्ता भी शामिल है।