ठाकुर पर हलफनामा देकर झूठ बोलने (परजुरी) का आरोप था। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष ने अदालत में दायर अपने शपथ पत्र में कहा था कि मैंने अदालत की गरिमा को जानबूझकर कभी भी ठेस पहुंचाने की कोशिश नहीं की और गलत जानकारी तथा संवादहीनता के कारण कुछ गलतफहमी पैदा हो गई। मैं इसलिए अदालत में बिना शर्त माफी मांगता हूं।
शीर्ष अदालत ने गत सात जुलाई को पिछली सुनवाई के दौरान ठाकुर को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का आदेश दिया था और कहा था कि माफीनामे की भाषा एकदम स्पष्ट होनी चाहिए और इसमें किसी तरह का घालमेल नहीं होना चाहिए। दरअसल, शीर्ष अदालत ने ठाकुर से कहा था कि अगर उनके खिलाफ यह साबित हो जाता है कि उन्होंने बीसीसीआई में सुधार पर अड़ंगा नहीं लगाने की झूठी शपथ ली है तो उन्हें जेल भेजा जा सकता है। ठाकुर ने इस मामले में अदालत से माफी मांगी थी।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह उनके खिलाफ मुकदमा वापस लेने को तैयार है, लेकिन माफी की भाषा स्पष्ट होनी चाहिए। दरअसल, पिछले साल 15 दिसंबर को अदालत ने कहा था कि प्रथम ²ष्टया ठाकुर पर न्यायालय की अवमानना और झूठी गवाही का मामला बनता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) को पत्र लिखकर बोर्ड में सुधारों की प्रक्रिया में अड़ंगा लगाने की कोशिश की थी। ठाकुर ने इस बात से इनकार किया था कि उन्होंने आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर को ऐसा कोई पत्र लिखा था।