SriGanganagar जीते जी गुमनाम, मरणों उपरांत सम्मान
Anonymous alive, honor after death- समाजसेवी रोशन सिकरी का जुनून: लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए बना डाला मुक्ति
SriGanganagar जीते जी गुमनाम, मरणों उपरांत सम्मान
जीते जी गुमनाम, मरणों उपरांत सम्मान
– समाजसेवी रोशन सिकरी का जुनून: लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए बना डाला मुक्ति धाम
श्रीगंगानगर। अस्पताल से लावारिस लाश का अंतिम संस्कार कराने के लिए कल्याण भूमि पर पुलिस टायर जलाकर कर रही थी तब यह नाजारा इतना विचलित कर दिया कि उसने ठान लिया कि अब गुमनाम हुए लोगों के शवों को सम्मान देकर अंतिम संस्कार करना ही उसका ध्येय होगा। इस जिद्द ने रोशन सिकरी को लावारिस लाशों को मसीहा बना दिया।
रामनाम सेवा संस्था बनाकर अब तक करीब आठ सौ से छह सौ से अधिक लावारिस लाशोंं का अंतिम संस्कार करवा जा चुका हैं। लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार का सफर कोरोना काल में भी बंद नहीं हुआ। कहीं से भी लावारिस लाश की सूचना मिली, रोशन सिकरी ने विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार कराया।
वर्ष 2010 में भामाशाह रामकिशन तंवर ने सदभावनानगर में एक बीघा भूमि इस संस्थान को दान में दी तो सिकरी ने मुक्ति धाम बना डाला। अब तक जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अलावा नौ बार सेना की ओर से इस शख्स को सम्मानित किया जा चुका है।
इस संस्थान की ओर से अब शवों को रखने के लिए डि्रप फ्रीज की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। रोशन सिकरी बताते हैं कि वर्ष 2009 में राजकीय जिला चिकित्सालय के पीछे उसकी इंजीनियरिंग की वर्कशॉप पर काम कर रहा था।
इस चिकित्सालय के पीछे दीवार इतनी छोटी थी कि कोई भी मोर्चरी रूम में आवाजाही अपनी शॉप पर बैठे देख सकता था। एक सड़ी लाश को पुलिस की टीम ने उसे एक गाड़ी में लादा और उसका अंतिम संस्कार चले गए। इस अंतिम संस्कार देखने के लिए वह भी इन पुलिस कर्मियों के पीछे पीछे चला गया। वहां शव को लकडिय़ों की बजाय कंडम टायरों से जला रहे थे। यह देखकर उसका मन विचलित हो उठा।
इस संबंध में अपने दोस्तों के साथ बात सांझा की तो तब यह तय हो गया कि लावारिस लाश का अंतिम संस्कार विधि विधान से किया जाएगा।
फिर क्या था रामनाम सेवा संस्था बना दी गई। बीस लोगों के साथ यह संकल्प लिया कि वह ऐसी लाशों के वारिस बनेंगे, जिसका कोई नहीं होगा। कोरोनाकाल में यह कल्याण भूमि पुलिस और चिकित्सा टीम के लिए कारगर साबित हुई जबकि पदमपुर रोड और हनुमानगढ़ रोड की कल्याण भूमि ने कोरोना रोगी की मौत के बाद अंतिम संस्कार कराने से इंकार कर दिया।
ऐसे में सदभावनानगर के पास रामनाम सेवा संस्था के कल्याण भूमि में कोरोना संक्रमण से हुए मृत लोगों का अंतिम संस्कार होने लगा। अंतिम संस्कार के लिए इस संस्था को कफन, हवन सामग्री और लकडि़यां जनसहयोग से मिलने लगी हैं।
सिकरी का कहना है कि अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों का विसर्जन हरिद्वार में गंगा नदी में कराया जाता हैं। हर साल हरिद्वार में अस्थियां विसर्जन के लिए सामूहिक रूप से प्रार्थना की जाती है। लावारिश की भले ही जीते जी कोई पहचान नहीं हो लेकिन मरणों उपरांत उसकी आत्मा की शांति के लिए बकायदा पाठ कराया जाता है।
इस समाजसेवी के प्रति पुलिस का रवैया अच्छा नहीं रहा।
जब लावारिश लाशों के अंतिम संस्कार के संबंध में बनैर या पम्फलेट थाना परिसर में लगाए जाते तो पुलिस कर्मी वहां से भगा देते लेकिन इस साल पुलिस दिवस पर पुलिस प्रशासन ने इसी समाजसेवी को सम्मान कर अपनी छवि साफ करने का प्रयास किया हैं।
Home / Sri Ganganagar / SriGanganagar जीते जी गुमनाम, मरणों उपरांत सम्मान