scriptअभियोजन स्वीकृति के अभाव में खुले घूम रहे रिश्वतखोर | Bribery roaming freely in the absence of prosecution sanction | Patrika News
श्री गंगानगर

अभियोजन स्वीकृति के अभाव में खुले घूम रहे रिश्वतखोर

श्रीगंगानगर. राज्य सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो, सबसे पहले भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन का दावा करती है। कोई भी सरकारी कार्मिक या राजनेता के भ्रष्ट आचरण पर अंकुश के लिए बकायदा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो गठित किया हुआ है। भ्रष्टाचार की शिकायत पर ब्यूरो अधिकारी ट्रैप की कार्रवाई भी करते हैं परन्तु संबंधित विभागों की ओर से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने के कारण रिश्वतखोर खुले घूम रहे हैं।

श्री गंगानगरDec 03, 2021 / 02:43 am

yogesh tiiwari

अभियोजन स्वीकृति के अभाव में खुले घूम रहे रिश्वतखोर

अभियोजन स्वीकृति के अभाव में खुले घूम रहे रिश्वतखोर

-स्थानीय निकाय व ग्राम पंचायतों में अधिक भ्रष्टाचार
-ज्यादा मामले इन्हीं सस्थाओं के अटके
योगेश तिवाड़ी. श्रीगंगानगर. राज्य सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो, सबसे पहले भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन का दावा करती है। कोई भी सरकारी कार्मिक या राजनेता के भ्रष्ट आचरण पर अंकुश के लिए बकायदा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो गठित किया हुआ है। भ्रष्टाचार की शिकायत पर ब्यूरो अधिकारी ट्रैप की कार्रवाई भी करते हैं परन्तु संबंधित विभागों की ओर से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने के कारण रिश्वतखोर खुले घूम रहे हैं।
स्थानीय निकाय विभाग (नगर परिषद या नगरपालिका), ग्राम पंचायतों और सहकारी समितियों से भ्रष्टाचार की सर्वाधिक शिकायतें ब्यूरो अधिकारियों के पास पहुंचती है। इनमें से कुछ मामलों में ट्रैप की कार्रवाई भी की जाती है परन्तु संबंधित विभाग सालों साल अभियोजन स्वीकृति नहीं देते जिससे अभियुक्तों का चालान ही नहीं हो पाता। आरोप पत्र अदालत में दाखिल नहीं होने के कारण ऐसे अभियुक्तों के खिलाफ ट्रायल नहीं होता। इस वजह से अभियुक्त को कोर्ट से क्लीन चिट मिल जाती है।
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तीन माह में चालान का नियम
टै्रप की कार्रवाई के बाद आरोपी को न्यायालय से जमानत मिल जाती है। मामले में चालान के लिए संबंधित विभाग को लिखा जाता है। किसी भी प्रकरण में विभाग से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने पर चालान नहीं हो सकता जिससे संबधित मामले में ट्रायल और सजा नहीं होती। इसके चलते रिश्वत लेने का आरोपी पद पर बना रहता है।
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लंबित मामलों की बानगी
1. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 19 दिसम्बर 2016 को भूमि विकास बैंक अनूपगढ़ के सचिव अनिल कुमार व बैंकिंग सहायक नोपाराम को 8 हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा। आरोपियों ने परिवादी मनीष यादव से उसके पिता के नाम स्वीकृत ऋण का चेक देने के बदले रिश्वत ली। यह प्रकरण अभी तक रजिस्ट्रार सहकारी समितियां जयपुर के पास लंबित है।
2. नगरपालिका संगरिया के इओ संदीप बिश्नोई व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विनोद माली को ब्यूरो ने 26 मार्च 2018 को 50 हजार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। आरोपियों ने परिवादी जैन प्रकाश से 1 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी जिसमें 50 हजार रुपए सत्यापन के दौरान ही ले लिए थे। इस मामले में नगरपालिका बोर्ड ने अभियोजन स्वीकृति नहीं दी। इसके बाद प्रकरण डीएलबी में लंबित है।
3. ग्राम पंचायत डबलीबास (हनुमानगढ़) में कनिष्ठ लिपिक विनोद कुमार व पीलीबंगा गांव के ग्राम विकास अधिकारी मनप्रीत को परिवादी को पुराने पट्टे की नकल देने के एवज में 5 हजार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। इस प्रकरण में जिला परिषद हनुमानगढ़ के सीइओ ने 5 अप्रेल 2021 को अभियोजन स्वीकृति देने से मना कर दिया। यह प्रकरण ग्रामीण विकास व पंचायतीराज विभाग जयपुर में लंबित है।
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टै्रप की कार्रवाई के बाद अनुसंधान पूर्ण करविस्तृत विवरण के साथ प्रकरण संबंधित विभाग के मुखिया को भेजा जाता है। वहां से अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद ही आरोपी के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया जाता है। अभियोजन स्वीकृति के अभाव में ब्यूरो लोकसेवक के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है।
-वेदप्रकाश लखोटिया, डीएसपी, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, श्रीगंगानगर
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