गर्मी के मौसम में सांय 7 बजे तो सूरज अस्त होता है। ग्राहकी भी गर्मी की वजह से शाम पांच बजे के बाद ही बाजार में रहती है। राज्य सरकार के इस निर्णण से व्यापारी वर्ग में असंतोष व्याप्त है।
पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन के बाद से व्यापारी वर्ग की स्थिति तो पहले से ही आर्थिक रूप से दयनीय है। ऐसी स्थिति में व्यापारियों के समक्ष दुकान का किराया, कर्मचारियों की तनख्वाह और अन्य खचो्र का भुगतान करने की विकट समस्या खड़ी हो गई है।
गुप्ता का कहना है कि रेहडिय़ा लगाकर फास्ट फूड, ज्यूस, समोसे, कचौड़ी, फ्रूट की लगाने वाली रेहड़ी, छोले कुलचे, आईसक्रीम आदि रोजाना बेचान करने वाले लोग अपने परिवारों को कैसे पालेंगे, यह समस्या अधिक है। इससे बेरोजगारी में एकाएक बढ़ोत्तरी हो जाएगी।
महासचिव नरेश सेतिया ने बताया कि इस कफर्यू से आमजन और व्यापारियों में भय की स्थिति पैदा हो गई है।
व्यापारी एवं आमजन लॉकडाउन के दुष्प्रभावों से बुरी तरह से आशंकित है। इससे आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी और मूल्यवृद्धि भी होने लगी है, जिससे आमजन को आथिज़्क परेशानी का सामना करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति छोटे व मध्यमवर्गीय व्यापारी और आमजन के लिए घातक सिद्ध होगी। सेतिया के अनुसार यापारी वर्ग तो राज्य सरकार को हमेशा सहयोग करता आ रहा है।
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रयासरत है। लेकिन कोरोना फैलने का बड़ा कारण राजनीतिक रैलियां, जन सभायें एवं प्रशासन की अनावश्यक ढिलाई है। कोरोना पर अंकुश के लिए व्यापारियों पर अव्यवहारिक प्रतिबंध लगाने की बजाय मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना व तथा सेनेटाइजर करने आदि सावधानियों पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए, जो वतज़्मान में संतोषजनक नहीं है।
केवल बाजार का कुछ हिस्सा बंद होने से कोरोना पर अंकुश लगाना सम्भव नहीं है, बल्कि इससे तो समस्यायें और अधिक बढ़ेंगी।
संयुक्त व्यापार मण्डल ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया है कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए पहले की तरह राज्य और जिला प्रशासन को पूर्णयता सहयोग किया जाएगा।
छोटे व्यापारियों व आमजन की समस्याओं को देखते हुए बाजार बंद करने का समय 19 से 30 अप्रैल तक सांय 7 बजे तक करने और वीकेंड कफ्र्यू की बाध्यता हटाने की मांग की है। इस संबंध में व्यापार मंडल ने विधायको को भी लिखित में अवगत कराया है।