सर्वदलीय संघर्ष समिति की ओर से पूर्व घोषित महापड़ाव को लेकर बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लेकर प्रशासन के समक्ष गुस्से का इजहार किया। धानमंडी शेड के नीचे चार घंटे तक चली सभा में किसानों ने सरकार के खिलाफ रोष जताया। व्यापार मंडल अध्यक्ष किशन दुग्गल, कार्यकारी अध्यक्ष मनीराम सहारण, पूर्व विधायक पवन दुग्गल, जमींदारा पार्टी की शिमला नायक आदि ने क्षेत्र में सिंचाई पानी समस्या पर चुने हुए जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कई आरोप जड़े। वहीं कांग्रेस पार्टी ने सिंचाई पानी के लिए चले धरने पर भी कटाक्ष किया।
सभा के बाद किसानों ने धानमंडी से उपखंड अधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकाला। उपखंड कार्यालय व तहसील कार्यालय के बाहर लगे बेरीकेड्स तथा मुख्य गेट पर ताला लगा कर एसडीएम श्योराम वर्मा, तहसीलदार चंदन मल सैन, अनूपगढ पुलिस उपाधीक्षक सोहनराम बिश्रोई, सीआई विक्रम चौहान ने किसानों से बाहर ही ज्ञापन देने का आग्रह किया। इसी दौरान जिला परिषद सदस्य विष्णू भांभू ने एसडीएम कार्यालय में छोटे गेट से होकर घुसना चाहा। पुलिस के रोकने पर आपस में जोर आजमाइश हुई। मामला तनावपूर्ण होने लगा। किसानों के उग्र होने की आशंका पर कार्यकारी अध्यक्ष मनीराम सहारण व व्यापार मंडल अध्यक्ष किशन दुग्गल ने हस्तक्षेप कर किसानों को शान्ति के लिए आग्रह किया। सहारण ने उग्रता दिखाने पर किसान आंदोलन का नेतृत्व करने से मना कर दिया। इसके बाद माहौल शान्त हुआ।
सिंचाई अधिकारियों को उलझाया
वार्ता में जिला परिषद सदस्य विष्णू भाम्भू, पवन दुग्गल, कार्यकारी अध्यक्ष मनीराम सहारण, व्यापार संघ जिलाध्यक्ष किशन दुग्गल, जमींदारा पार्टी की शिमला नायक, कांग्रेस एससी मोर्चा अध्यक्ष जुगताराम पन्नु, सेवा दल संगठक मनोहरलाल नायक, पूर्व प्रधान हरीराम मेघवाल, जिला परिषद के पूर्व सदस्य सुनील गोदारा आदि ने सूरतगढ से आए एडीएम चांदमल वर्मा, अधीक्षण अभियंता रामसिंह, एसडीएम श्योराम वर्मा, एडीशनल एसपी भरतराम, रायसिंहनगर सीओ आन्ंाद स्वामी की मौजूदगी में सिंचाई पानी समस्या पर चर्चा की।
पौंग बांध में पर्याप्त पानी होने तथा पूर्व में डेम का जल स्तर नीचे ले जाने का विवरण भी रखा। मुख्य अभियंता के पहले 18 से सिंचाई पानी देने की घोषणा को बढा कर 19 जून करना तथा उसे भी बढा कर बीस जून करने पर रोष जताया। जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता ने अनूपगढ शाखा सहित अन्य नहरों में पानी के रेग्यूलेशन के बारे में किसानों को जानकारी दी। एक बार तो किसान असंतुष्ट होकर वार्ता बीच में छोड़ कर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बाहर निकल गए। फिर वे इस बात पर सहमत हुए कि बीस को पानी आता है तो किसान अपने काम में लग जाएगा और 29 जून से फिर आंदोलन करते हुए बेमियादी महापड़ाव डाला जाएगा।