मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में उत्पादन कर रही 250-250 मेगावाट की पहली, दूसरी, तीसरी ओर पांचवी इकाई से बिजली उत्पादन लायक कोयला रोजाना थर्मल में पहुँच रहा है। एवम आगामी 4-5 दिनों तक कोयले की आपूर्ति में बढ़ोतरी की संभावना नही के बराबर है। कोल प्लांट से मिली जानकारी के अनुसार कोयला खदानों से रोजाना मात्र तीन कोयले की गाड़िया सूरतगढ़ थर्मल के लिए लोड हो रही है।ऐसे में आगामी 4 – 5 दिनों तक गाड़ियों के बढ़ने की संभावना नही के बराबर है।
जबकि छह इकाइयों के चलाने के लिए रोजाना 5 कोयले के रैक की जरूरत पड़ेगी ऐसे में परियोजना में उपलब्ध कोयले के 28 हजार मीट्रिक टन भंडार का उपयोग करने के बाद मात्र एक या दो दिन ही सभी छह इकाइयों को चलाया जा सकेगा। यदि ड़ो दिनों में रोजाना 5 कोयले के रैक थर्मल नही पहुंचने शुरू हुए तो इकाइयां कोयले की कमी के कारण पुनः बन्द करनी पड़ेगी। इसलिए बढ़ी मांग- मिली जानकारी के अनुसार निजी क्षेत्र की अडाणी समूह की 600 मेगावट की एक इकाई, जिंदल समूह की 135 – 135 मेगावाट की दो इकाइयां, छबड़ा थर्मल की 250-250 मेगावाट की दो इकाइयों के बन्द होने,700 से1500 मेगावट पवन बिजली का उत्पादन भी घटकर 25 से 30 मेगावाट होने के अलावा प्रदेश को मिलने वाले 3 हजार मेगावाट सेंटर शेयर 2 हजार मेगावाट हो जाने से प्रदेश में बिजली की कमी हो गई है।
ऐसे में शुक्रवार को परियोजना की 250-250 मेगावाट की चौथी ओर छथी इकाई को लाइट अप किया गया है। जिनमें शुक्रवार मध्य रात्रि 2 बजकर 57 मिनट पर चौथी एवम रात्रि 2 बजकर 26 मिनट पर छठी इकाई को सिंक्रोनाइज कर बिजली उत्पादन शुरू कर दिया गया। शनिवार दोपहर 11 बजे तक 250 मेगावाट की पहली इकाई से 198 मेगावाट, दूसरी इकाई से 206 मेगावाट, तीसरी इकाई से 201 मेगावाट, चौथी इकाई से 206 मेगावाट, पाँचवी इकाई से 210 मेगावाट एवम छठी इकाई से 194 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा था। किये जा रहे है प्रयास- वर्तमान में चल रही चार इकाइयों के लिए आवश्यक कोयले की आपूर्ति परियोजना में रोजाना हो रही थी। दो इकाइयों के ओर चलने से स्थिति विकट हो जाएगी, ज्यादा कोल रैक लोड करवाने के लिए कोल कम्पनियो, रेलवे सहित उच्चस्तर को सूचित किया गया है। एम एल शर्मा मुख्य अभियंता सूरतगढ़ थर्मल।