कोई जातिगत आंकड़ों के हवाले से प्रत्याशी को जीतवा रहा था तो कोई जमानत बचाने की दुहाई देता रहा। यही सवाल मोबाइल पर हर कॉल के दौरान बातचीत में यही सवाल बार बार किया जा रहा था। विधानसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया जैसे ही समाप्त हुई तो हर जुबां पर यही यक्ष प्रश्न बना हुआ था। इधर, प्रत्याशियों के समर्थक भी फील्ड में डयूटी देने वाले लोगों से फीडबैक लेते नजर आए।
कोई पोलिंग दलों से जानकारी जुटा रहा था तो कोई पुलिस कर्मी और मीडिया कर्मियों से जवाब मांग रहे थे। हालांकि मतगणना अभी 11 दिसम्बर को होनी है लेकिन उससे पहले हर प्रत्याशी खुद की जीत के प्रति आश्वास्त नजर आया।
विधानसभा चुनाव में सबसे रोचक मुकाबला श्रीगंगानगर विधानसभा सीट का है। यहां कुल 22 प्रत्याशी है। लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी अशोक चांडक का है। चांडक ने अपनी चौसर चाल से सबके समीकरण बिगाड़ दिए है। चांडक का विरोध करने के लिए राजकुमार गौड़ और जयदीप बिहाणी ने चुनाव लड़ लिया।
विधानसभा चुनाव में सबसे रोचक मुकाबला श्रीगंगानगर विधानसभा सीट का है। यहां कुल 22 प्रत्याशी है। लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी अशोक चांडक का है। चांडक ने अपनी चौसर चाल से सबके समीकरण बिगाड़ दिए है। चांडक का विरोध करने के लिए राजकुमार गौड़ और जयदीप बिहाणी ने चुनाव लड़ लिया।
इन दोनों ने चांडक टीम की तय किए गए सारे समीकरण बिगाड़ दिए है। वहीं भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर बसपा प्रत्याशी बने प्रहलाद टाक के पक्ष में कई जगह वोटिंग एकतरफा भी हुई। प्रदेश में भाजपा के खिलाफ चल रही लहर को यदि चांडक अपने वोटों में तब्दील करवाते है तो उनकी जीत का मार्ग खुल सकता है। इन सबके बीच भाजपा की विनीता आहुजा ने संगठन स्तर पर चुनावी समीकरण बनाए है।
अलग अलग क्षेत्र के मतदाताओं ने अपनी अपनी कहानी बयां की तो अलग अलग परिणाम आने की संभावना बढ़ गई है। यह विधानसभा सीट किसी सेंसपेंश फिल्म से कम नहीं है। हर सीन के बाद रहस्य बरकरार है। भाजपा की विनीता आहुजा ने अरोड़ा बिरादरी के वोटरेां पर अपनी छाप छोड़ी है लेकिन उनको सफलता मिलती है या नहीं, यह तो बताना मुश्किल है।