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श्री गंगानगर

SriGanganagar हर साल लगता है यहां मेला, सफेद चूहों से बनी पहचान

Fair is held here every year, an identity made of white ratsमोती डूंगरी की तर्ज पर बना मनोकामना सिद्धि गणेश मंदिर
 

श्री गंगानगरAug 22, 2022 / 10:07 pm

surender ojha

SriGanganagar हर साल लगता है यहां मेला, सफेद चूहों से बनी पहचान

SriGanganagar हर साल लगता है यहां मेला, सफेद चूहों से बनी पहचान

श्रीगंगानगर. श्रीगंगानगर. हनुमानगढ़ रोड स्थित श्री मनोकामना सिद्धि गणेश मंदिर अब इलाके की पहचान बन चुका है। यहां हर साल गणेश जन्मोत्सव के मौके पर मेला भरता है। इस मंदिर की स्थापना के बाद इलाके में घर-घर गणपति को विराजने का चलन बढ़ा है। यह मंदिर जयपुर के मोती डूंगरी मंदिर धाम की तर्ज पर बनाया गया है। करीब साढ़े छह फीट ऊंची गणपति प्रतिमा मोती डूंगरी का स्वरूप है।
इस मंदिर से ब’चों का भी जुड़ाव हो, इसके लिए गणपति की सवारी सफेद चूहों को वहां रखा गया। करीब बीस साल पहले एक निजी अस्पताल के निदेशक घनश्याम सर्राफ ने जयपुर में मोती डूंगरी मंदिर में धोक लगाई तो उन्होंने श्रीगंगानगर में भी वैसे ही मंदिर की स्थापना का निर्णय किया। सर्राफ ने अपने साथियों से चर्चा की और निर्णय भी ले लिया। वर्ष 2002 में इस मंदिर की विधिवत स्थापना की गई। समय बीतने के साथ-साथ मंदिर की मान्यता बढ़ती गई।
मंदिर प्रबंधन ने इस वर्ष भी गणेश चतुर्थी महोत्सव धूमधाम से मनाने का निर्णय किया है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी की संभावना के चलते बेरीकेड्स लगाए जाते हैं। वहीं मंदिर परिसर में गणेश जी का विशेष श्रृंगार किया जाता है। इसके साथ ही विशाल गजमोदक व हजारों लड्डुओं की झांकी सजाकर गणेश जी को भोग लगाया जाता है। यह गणेश मंदिर इलाके का नया आस्था का केन्द्र बन चुका है, इसके लिए रोजाना भक्तों की संख्या बढऩे लगी है।
इस मंदिर की आस्था बढ़ाने के लिए महिलाओं में मेहन्दी अर्पण कराने की प्रक्रिया शुरू कराई। यह अब पंरपरा बन चुकी है। हर साल एक सैकड़ों महिलाएं अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए गणपति महाराज के समक्ष मेहन्दी अर्पित करती हैं। मेहन्दी शुभ कार्य शुरू करने से पहले लगाने की पंरपरा है, ऐसे में मेहन्दी अर्पण की महिलाओं में होड़ लगती है। इस मंदिर में भजन-कीर्तन के लिए कई महिला संगठनों का गठन भी हो चुका है। मंदिर के आसपास प्रसाद, मिठाइयों और फूलों आदि की दुकानें स्थापित हो चुकी है। इस एरिया का पहचान धार्मिक स्थल के रूप में होने लगी है।

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