जिला कलक्टर के आदेशानुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.नरेश बंसल, सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता सुमन मनोचा और डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर मनीष कुमार ने दानदाता बी.डी. अग्रवाल के प्रतिनिधि उदयपाल झाझडिय़ा को पहले अस्पताल के लिए दी जाने वाली जगह दिखाई और बाद में उसकी नपाई कर लैण्ड मार्क दिए। इससे पूर्व कमेटी के सदस्यों ने जिला अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनीता सरदाना के प्रतिनिधि उप नियंत्रक डॉ. प्रेम बजाज से अस्पताल के लिए दी जाने वाली भूमि के बारे में बातचीत की।
पेच भी है जगह में
मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के लिए जो दो जगह देखी हैं उनमें एक पेच भी है। दानदाता को अगर फिजियोथैरेपी विभाग के भवन के साथ मेडिकल कॉलेज की बाउंड्री वाल से लेकर जिला अस्पताल के पार्क की चारदीवारी के पास तक की भूमि अस्पताल निर्माण के लिए दी जाती है तो फिजियोथैरेपी के साथ-साथ आयुर्वेद और होम्योपैथी विभाग के भवनों को तोडऩा पड़ेगा। इसके लिए प्रशासन को संबंधित विभागों से अनुमति लेनी पड़ेगी। दानदाता को अगर पार्क वाली जगह दी गई तो मरीजों और उनके परिजनों के बैठने के लिए पार्क नहीं बचेगा। प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के प्रतिनिधि डॉ. प्रेम बजाज ने तो कमेटी सदस्यों के समक्ष इस संबंध में आपत्ति भी दर्ज करवाई।
अस्पताल के लिए स्थान
दानदाता के प्रतिनिधि झाझडिय़ा को 225 गुणा 100 साइज की दो जगह 400 बेड के अस्पताल के लिए दिखाई गई। पहली जगह फिजियोथेरेपी विभाग के भवन के साथ मेडिकल कॉलेज की बाउंड्री वाल से लेकर जिला अस्पताल के पार्क की चारदीवारी के पास तक तथा दूसरी जगह जिला अस्पताल के मुख्य द्वार के साथ बनी पार्क की दीवार से लेकर आयुर्वेद और होम्योपैथी विभाग की चारदीवारी तक है। जिला अस्पताल की चारदीवारी से मेडिकल कॉलेज के लिए बनने वाले अस्पताल के गेट तक 100 फीट जगह खाली रहेगी। अस्पताल के लिए कौनसी जगह लेनी है या देनी है यह सब जिला कलक्टर और दानदाता के बीच होने वाली बैठक में तय होगा। वैसे दानदाता के प्रतिनिधि झाझडिय़ा का कहना था कि प्रशासन उन्हें जो भी जगह देगा, अस्पताल का निर्माण उसी पर करवा दिया जाएगा।